श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
षष्ठ अध्याय
यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च मयि पश्यति ।
उत्तर- जैसे बादल में आकाश और आकाश में बादल है, वैसे ही सम्पूर्ण भूतों में भगवान् वासुदेव हैं और वासुदेव में सम्पूर्ण भूत हैं- इस प्रकार अनुभव करना ही ऐसा देखना है। प्रश्न- ऐसा देखना कार्य-कारण की दृष्टि से है या व्याप्य-व्यापक की अथवा आधेय-आधार की दृष्टि से? उत्तर- सभी दृष्टियों से ऐसा देखा जा सकता है; क्योंकि बादलों में आकाश की भाँति भगवान् वासुदेव ही इस सम्पूर्ण चराचर संसार के महाकारण हैं, वही सबमें व्याप्त हैं और वही सबके एकमात्र आधार हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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