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- दिविरथ (बहुविकल्पी)
- दिविरथ (भुमन्यु पुत्र)
- दिवोदास
- दिवोदास (बहुविकल्पी)
- दिवोदास (भीमसेन के पुत्र)
- दिवोदास का ययातिकन्या से प्रतर्दन नामक पुत्र उत्पन्न करना
- दिव्य प्रेम
- दिव्य प्रेम 10
- दिव्य प्रेम 11
- दिव्य प्रेम 2
- दिव्य प्रेम 3
- दिव्य प्रेम 4
- दिव्य प्रेम 5
- दिव्य प्रेम 6
- दिव्य प्रेम 7
- दिव्य प्रेम 8
- दिव्य प्रेम 9
- दिव्यकट
- दिव्यकर्मकृत
- दिव्यगोलोक-नाथ
- दिव्यरत्न
- दिव्यरूप
- दिव्यलोक
- दिव्यवर्ण
- दिव्यवासा
- दिव्यशस्त्री
- दिव्यसानु
- दिव्यास्त्र
- दिशाचक्षु
- दिशाजित बली
- दीजै कान्ह काँधे कौ कंबर -सूरदास
- दीजै कान्ह काँधे कौ कंवर -सूरदास
- दीन-दयाल, पतित-पावन प्रभु -सूरदास
- दीन कौ दयाल सुन्यौ -सूरदास
- दीन जन क्यौं करि आवै सरन -सूरदास
- दीन द्विज द्वारै आइ भयौ ठाढ़ौ -सूरदास
- दीन बंधु ब्रजनाथ कबै मुख देखिहौ -सूरदास
- दीन बन्धु हे करुणाकर प्रभु -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दीनबन्धु करुणा-वरुणालय -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दीनबन्धो कृपासिन्धो -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दीनबन्धु श्रीकृष्ण -बाबा राघवदास
- दीपक
- दीपक (गरुड़)
- दीपक (बहुविकल्पी)
- दीपावली
- दीप्त
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- दीप्तमान
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- दीप्तांशु
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- दीप्तिमान
- दीप्तवर्ण
- दीप्तशक्ति
- दीर्घकाल तक सोच-विचारकर कार्य करने की प्रशंसा
- दीर्घजिहा
- दीर्घजिह्व
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- दीर्घजिह्वा (बहुविकल्पी)
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- दीर्घप्रज्ञ
- दीर्घबाहु
- दीर्घयज्ञ
- दीर्घरोमा
- दीर्घलोचन
- दीर्घायु
- दु:ख (महाभारत संदर्भ)
- दु:खिता-कामिनीश
- दु:शल
- दु:शला
- दु:शला के अनुरोध से अर्जुन और सैन्धवों के युद्ध की समाप्ति
- दु:शला के जन्म की कथा
- दु:शासन
- दु:शासन और भीमसेन का युद्ध
- दु:शासन और सहदेव का घोर युद्ध
- दु:शासन का अर्जुन के साथ घोर युद्ध
- दु:शासन का सभा में द्रौपदी को केश पकड़कर घसीटकर लाना
- दु:शासन का सेना सहित पलायन
- दु:शासन द्वारा पाण्डवों का उपहास
- दु:सह
- दुःख-मृत्यु में देखूँ मैं नित -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दुःशला
- दुःशासन
- दुःसह
- दुख दूर मत करो नाथ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दुखहन्ता
- दुग्ध
- दुग्धभुक
- दुतकारो-डाँटो सदा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दुन्दुभी
- दुमर्षण
- दुरत नहिं नेह अरु सुगंध-चोरी -सूरदास
- दुरत नहिं नेह अरू सुगंध-चोरी -सूरदास
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- दुर्बल (महाभारत संदर्भ)
- दुर्मति दैत्य महाबलने आ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
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- दुर्मद (बहुविकल्पी)
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- दुर्मद (वसुदेव पुत्र)
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- दुर्मर्षण का अर्जुन से लड़ने का उत्साह
- दुर्मुख
- दुर्मुख (दैत्य)
- दुर्मुख (बहुविकल्पी)
- दुर्मुख (योद्धा)
- दुर्मुख (राजा)
- दुर्मुख (सर्प)
- दुर्योधन
- दुर्योधन (बहुविकल्पी)
- दुर्योधन (सुदुर्जय पुत्र)
- दुर्योधन आदि को द्वैतवन जाने हेतु धृतराष्ट्र की अनुमति
- दुर्योधन और अर्जुन का युद्ध
- दुर्योधन और कर्ण की बातचीत
- दुर्योधन और कर्ण की बातचीत तथा पुन: युद्ध का आरम्भ
- दुर्योधन और द्रोणाचार्य का जयद्रथ को आश्वासन
- दुर्योधन और धृष्टद्युम्न का युद्ध
- दुर्योधन और भीमसेन तथा अश्वत्थामा और राजा नील का युद्ध
- दुर्योधन और भीष्म का युद्ध विषयक वार्तालाप
- दुर्योधन और भीष्म का संवाद
- दुर्योधन और युधिष्ठिर का संग्राम तथा दुर्योधन की पराजय
- दुर्योधन और सात्यकि का संवाद तथा युद्ध
- दुर्योधन का अपनी सेना को उत्साहित करना
- दुर्योधन का अपने सैनिकों को समझाकर पुन: युद्ध में लगाना
- दुर्योधन का अर्जुन को ललकारना
- दुर्योधन का अश्वत्थामा से पांचालों के वध का अनुरोध
- दुर्योधन का अहंकारपूर्वक पांडवों से युद्ध का निश्चय
- दुर्योधन का उपालम्भ और द्रोणाचार्य का व्यंग्यपूर्ण उत्तर
- दुर्योधन का उपालम्भ तथा द्रोणाचार्य की प्रतिज्ञा
- दुर्योधन का उलूक को दूत बनाकर पांडवों के पास भेजना
- दुर्योधन का कर्ण को अपनी पराजय का समाचार बताना
- दुर्योधन का किसी एक पांडव से गदायुद्ध हेतु तैयार होना
- दुर्योधन का कृपाचार्य को उत्तर देना
- दुर्योधन का कृष्ण के विषय में अपने विचार कहना
- दुर्योधन का कृष्ण के स्वागत-सत्कार हेतु मार्ग में विश्रामस्थान बनवाना
- दुर्योधन का गर्व हरण
- दुर्योधन का द्यूत के लिए धृतराष्ट्र से अनुरोध
- दुर्योधन का द्रोणाचार्य की रक्षा हेतु सैनिकों को आदेश
- दुर्योधन का द्रोणाचार्य को उपालम्भ
- दुर्योधन का द्रोणाचार्य को उपालम्भ देना
- दुर्योधन का द्रोणाचार्य से सेनापति बनने के लिए प्रार्थना करना
- दुर्योधन का धृतराष्ट्र को अपने दुख और चिन्ता का कारण बताना
- दुर्योधन का धृतराष्ट्र को उकसाना
- दुर्योधन का धृतराष्ट्र से अपने उत्कर्ष और पांडवों के अपकर्ष का वर्णन
- दुर्योधन का धृतराष्ट्र से पाण्डवों को वारणावत भेज देने का प्रस्ताव
- दुर्योधन का धृतराष्ट्र से पुन: द्युतक्रीडा के लिए पाण्डवों को बुलाने का अनुरोध
- दुर्योधन का पराक्रम
- दुर्योधन का भाइयों सहित पलायन
- दुर्योधन का भीम को विष खिलाना
- दुर्योधन का भीष्म से पांडवों का वध अथवा कर्ण को युद्ध हेतु आज्ञा देने का अनुरोध
- दुर्योधन का मय निर्मित सभा भवन को देखना
- दुर्योधन का मार्ग में ठहरना और कर्ण द्वारा उसका अभिनन्दन
- दुर्योधन का वाहकों द्वारा अपने साथियों को संदेश भेजना
- दुर्योधन का विकर्ण आदि योद्धाओं सहित रणभूमि से भागना
- दुर्योधन का विदुर को फटकारना और विदुर का उसे चेतावनी देना
- दुर्योधन का व्याकुल होकर द्रोणाचार्य को उपालम्भ देना
- दुर्योधन का संजय के सम्मुख विलाप
- दुर्योधन का संधि स्वीकर न करके युद्ध का ही निश्चय करना
- दुर्योधन का सभासदों से पांडवों का पता लगाने हेतु परामर्श
- दुर्योधन का सरोवर में प्रवेश
- दुर्योधन का सेना को आश्वासन तथा कर्णवध का संक्षिप्त वृत्तान्त
- दुर्योधन का सैनिकों को प्रोत्साहन देना और अश्वत्थामा की प्रतिज्ञा
- दुर्योधन की आत्मप्रशंसा
- दुर्योधन की कुमन्त्रणा से भीष्म का कुपित होना
- दुर्योधन की प्रेरणा से कौरव सैनिकों का पांडव सेना से युद्ध
- दुर्योधन की शकुनि तथा कर्ण आदि के साथ पांडवों पर विजय हेतु मंत्रणा
- दुर्योधन की शल्य से कर्ण का सारथि बनने के लिए प्रार्थना
- दुर्योधन की सेना का वर्णन
- दुर्योधन के अनुरोध पर शल्य का सेनापति पद स्वीकार करना
- दुर्योधन के आदेश से दु:शासन का अभिमन्यु से युद्ध
- दुर्योधन के आदेश से पुरोचन का वारणावत नगर में लाक्षागृह बनाना
- दुर्योधन के उपालम्भ से द्रोणाचार्य और कर्ण का घोर युद्ध
- दुर्योधन के छल-कपटयुक्त वचन और भीम का रोषपूर्ण उद्गार
- दुर्योधन के धराशायी होने पर भीषण उत्पात प्रकट होना
- दुर्योधन के प्रति धृतराष्ट्र के युक्तिसंगत वचनों का वर्णन
- दुर्योधन के यज्ञ का आरम्भ तथा समाप्ति
- दुर्योधन के लिए अपशकुन
- दुर्योधन के वध पर धृतराष्ट्र का विलाप करना
- दुर्योधन को उसके गुप्तचरों द्वारा कीचकवध का वृत्तान्त सुनाना
- दुर्योधन को देखकर अश्वत्थामा का विषाद एवं प्रतिज्ञा करना
- दुर्योधन को देखकर कृपाचार्य और अश्वत्थामा का विलाप
- दुर्योधन को धृतराष्ट्र का समझाना
- दुर्योधन द्वारा अनशन की समाप्ति और हस्तिनापुर प्रस्थान
- दुर्योधन द्वारा अपनी ग्लानि का वर्णन तथा आमरण अनशन का निश्चय
- दुर्योधन द्वारा अपनी प्रबलता का प्रतिपादन और धृतराष्ट्र का उस पर अविश्वास
- दुर्योधन द्वारा अपने पक्ष की प्रबलता का वर्णन
- दुर्योधन द्वारा अश्वत्थामा के संधि प्रस्ताव को अस्वीकार करना
- दुर्योधन द्वारा कण्व मुनि के उपदेश की अवहेलना
- दुर्योधन द्वारा कर्ण और शकुनि की मंत्रणा स्वीकार करना
- दुर्योधन द्वारा कौरव सेना को रोकने का विफल प्रयास
- दुर्योधन द्वारा चेकितान का वध
- दुर्योधन द्वारा दु:शासन को भीष्म की रक्षा का आदेश
- दुर्योधन द्वारा दु:शासन को राजा बनने का आदेश
- दुर्योधन द्वारा दुर्वासा का आतिथ्य सत्कार
- दुर्योधन द्वारा दुर्वासा को प्रसन्न करना और युधिष्ठिर के पास भेजना
- दुर्योधन द्वारा पांडवों को राज्य न देने का निश्चय
- दुर्योधन द्वारा भीष्म का सेनापति पद पर अभिषेक
- दुर्योधन द्वारा भीष्म की रक्षा की व्यवस्था
- दुर्योधन द्वारा युद्ध का निश्चय
- दुर्योधन द्वारा युधिष्ठिर के अभिषेक का वर्णन
- दुर्योधन द्वारा वैष्णव यज्ञ की तैयारी
- दुर्योधन द्वारा शल्य को शिव के विचित्र रथ का विवरण सुनाना
- दुर्योधन द्वारा शल्य से त्रिपुरों की उत्पत्ति का वर्णन करना
- दुर्योधन द्वारा सेना को सुसज्जित होने और शिविर निर्माण का आदेश
- दुर्योधन द्वारा सेनाओं का विभाजन और सेनापतियों का अभिषेक
- दुर्योधन व उसके पास रोती हुई पुत्रवधु को देखकर गांधारी का विलाप
- दुर्योधन वध
- दुर्वहदन्तकुंड
- दुर्वहदन्तकुण्ड
- दुर्वासा
- दुर्वासा ऋषि
- दुर्वासा द्वारा महर्षि मुद्गल के दानधर्म एवं धैर्य की परीक्षा
- दुर्विगाह
- दुर्विभाग
- दुर्विमोचन
- दुर्विरोचन
- दुर्विषह
- दुलहिनि दूलह स्यामा स्याम -सूरदास
- दुलिदुह
- दुशला
- दुशासन
- दुष्कर्ण
- दुष्ट मनुष्य द्वारा की हुई निन्दा को सह लेने से लाभ
- दुष्टों को पहचानने के विषय में इन्द्र और बृहस्पति का संवाद
- दुष्पराजय
- दुष्प्रधर्ष
- दुष्प्रधर्षण
- दुष्यंत
- दुष्यंत-शकुन्तला वार्तालाप
- दुष्यंत (अजमीढ़ पुत्र)
- दुष्यंत (बहुविकल्पी)
- दुष्यंत का कण्व के आश्रम में प्रवेश
- दुष्यंत का शिकार के लिए वन में जाना
- दुष्यंत का हिंसक वन-जन्तुओं का वध करना
- दुष्यंत की राज्य-शासन क्षमता का वर्णन
- दुष्यन्त
- दुष्यन्तजो नृपेन्द्र
- दुसह
- दुसह बियोग स्याम सुंदर -सूरदास
- दुहत स्याम गैया बिसराई -सूरदास
- दुहि दीन्ही राधा की गाइ -सूरदास
- दुहुनि की प्रीति अनादि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दूत
- दूतिका हँसति हरि चरित हेरै -सूरदास
- दूतिका हँसति हरि चरित हेरैं -सूरदास
- दूती दई स्याम पठाइ -सूरदास
- दूती देखि आतुर स्याम -सूरदास
- दूती मन अवसेरि करै -सूरदास
- दूती मन अवसेरि करैं -सूरदास
- दूती यह अनुमान करै -सूरदास
- दूती संग हरि कै रही -सूरदास
- दूती संग हरि कैं रही -सूरदास
- दूध
- दूध-दोहनी लै री मैया -सूरदास
- दूध समुद्र
- दूर करो, ठुकराओ चाहे, प्यारे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दूर रहें या पास -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दूरश्रवण सिद्धि
- दूरि करहि बीना कर -सूरदास
- दूरि करहि बीना कर धरिबौ -सूरदास
- दूरि खेलन जनि जाहु लला मेरे -सूरदास
- दूरि ही ते देखति दसा मैं वा वियोगिनि की -पद्माकर
- दूरिहि तै देख्यौ बलबीर -सूरदास
- दूरिहिं तैं सिंघासन बैठे -सूरदास
- दूलह देखौंगी जाइ उतरे -सूरदास
- दूलह देखौगी जाइ उतरे -सूरदास
- दूषण
- दूषिकाकुंड
- दूषिकाकुण्ड
- दूसरे की गाय को चुराने और बेचने के दोष तथा गोहत्या के परिणाम
- दूसरो न कोई -मीरां
- दृढच्युत
- दृढव्य
- दृढहस्थ
- दृढ़
- दृढ़ करि धरी अब यह बानि -सूरदास
- दृढ़ ब्रत कियौ मेरै हेत -सूरदास
- दृढ़ ब्रत कियौ मेरैं हेत -सूरदास
- दृढ़क्षत्र
- दृढ़धन्वा
- दृढ़रथ
- दृढ़रथाश्रय
- दृढ़वर्मा
- दृढ़व्य
- दृढ़संघ
- दृढ़संध
- दृढ़सेन
- दृढ़स्यु
- दृढ़हस्त
- दृढ़ायु
- दृढ़ायु (बहुविकल्पी)
- दृढ़ायु (राजा)
- दृढ़ायुध
- दृढ़ाश्व
- दृढ़ेयु
- दृढ़ेषुधि
- दृषद्वती
- दृषद्वती नदी
- दृषद्वान
- देख छबीली छटा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देख जिऊँ माई नयन रँगीलो -कृष्णदास
- देख तुम्हारा यह पवित्र अप्रतिम -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देख दशा प्रिय की -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देख पा रही नहीं राधिका -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देख रहा मैं, करते लीला -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देख रही सुन रही सभी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देखत नंद कान्ह अति सोवत -सूरदास
- देखत नवल किसोरी सजनी -सूरदास
- देखत पय पीवत बलराम -सूरदास
- देखत बन ब्रजनाथ आज -सूरदास
- देखत भूलि रह्यौ द्विज दीन -सूरदास
- देखत राम हँसे सुदामा कूँ -मीराँबाई
- देखत हरष भई ब्रजनारी -सूरदास
- देखत हरि के रूपहि नैना -सूरदास
- देखत हरि के रूपहिं नैना -सूरदास
- देखन कौं मंदिर आनि चढ़ी -सूरदास
- देखन दै पिय बैरिनि पलकैं -सूरदास
- देखन दै पिय मदन गुपालहिं -सूरदास
- देखन दै बृंदाबन-चंदहिं -सूरदास
- देखहिं दौरि द्वारिकावासी -सूरदास
- देखहु री हरि भोजन खात -सूरदास
- देखा करूँ तुम्हारी लीला -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देखा स्वप्न राधिका ने -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देखि, महरि मनहीं जु सिहनी -सूरदास
- देखि, महरि मनहीं जु सिहानो -सूरदास
- देखि अक्रूर नर नारि बिलखे -सूरदास
- देखि इंद्र मन गर्व बढ़ायौ -सूरदास
- देखि थकित गन-गंध्रव-सुर-मुनि -सूरदास
- देखि दरस मन हरष भयौ -सूरदास