श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
अनुभवी भक्तों ने विविध प्रकार से उनके कुछ गुणों के दर्शन किये हैं और उनमें से कुछ मुख्य-मुख्य गुणों के नाम बताये हैं। उन्हीं में से दो स्थलों पर बताये हुए इक्यावन प्रधान सहज गुण ये हैं— 1-मधुरा, 2-नित्य-नव-वयस्का, 3-चंचलकटाक्षविशिष्टा, 4-उज्ज्वल-मृदुमधुरहास्यकारिणी, 5-चारूसौभाग्यरेखाढया (हाथ-पैर आदि अंगों पर सौभाग्य-सूचक रेखाओं वाली), 6-गन्धोन्मादितमाधवा (अपनी अंग-सुगन्ध से श्रीकृष्ण को अन्मत्त बनाने वाली), 7-संगीतप्रसराभिज्ञा (संगीतविद्या में निपुणा), 8-रम्यवाक् (मधुरभाषिणी), 9-नर्मपण्डिता, 10-विनीता, 11-करुणापूर्णा (करुणा से पूर्ण हृदयवाली), 12-विदग्धा, 13-पाटवान्विता (सभी कामों में चतुरा), 14-लज्जा-शीला, 15-सुमर्यादा (प्रेम-मर्यादा की भलीभाँति रक्षा करने वाली), 16-धैर्य-शालिनी, 17-गाम्भीर्यशालिनी (गम्भीरहृदयवाली), 18-सविलासा (हावभावादि के द्वारा अपने मनोभावों को समझाने में चतुर), 19-महाभाव-परमोत्कर्षतर्षिणी (विशुद्ध त्यागमय प्रेम के उत्तरोत्तर उत्कर्ष के लिये व्यग्न रहने वाली), 20-गोकुल-प्रेमवसति (गोवंश के प्रति प्रेम की निवास स्थली), 21-जगत्-श्रेणीलसद्-यशा (सारे लोकों में जिनका यश व्याप्त है, ऐसी), 22-गुर्वर्पित-गुरुस्नेहा (गुरुजनों के पूर्ण स्नेह को प्राप्त), 23-सखिप्रणयितावशा (सखियों के प्रेम के वशीभूत), 24-कृष्ण-प्रियावलिमुख्या (श्रीकृष्ण की प्रियाओं में मुख्य) और 25-नित्याधीनमाधवा (श्रीमाधव जिनके नित्य अधीन हैं)। 1-अखिलविकारशून्या-नित्यानन्दमयी, 2-भोगत्याग-समर्पितात्मा, 3-अचिन्त्यानन्तदिव्यपरमानन्दस्वरूपा, 4-प्रीतिपराकाष्ठामहाभावस्वरूपा, 5-स्वसुखानुसंधानकल्पना-लेशशून्या, 6-पतिव्रताशिरोमणि-अरुन्धती-अनसूयादिद्वारा पूजनीया, 7-श्यामविधुवदनचकोरी, 8-श्रीकृष्णमनोमनस्विनी, 9-श्रीकृष्णप्राणप्राणा, 10-ऋषिमुनिमनःकर्षकचित्ताकर्षिणी, 11-श्रीकृष्णहृदया, 12-श्रीकृष्णजीवना, 13-श्रीकृष्णस्मृतिरूपा, 14-श्रीकृष्णसुखैकमना, 15-श्रीकृष्णा-नन्दप्रवर्धिनी, 16-श्रीकृष्णप्राणाधिदेवी, 17-श्रीकृष्णाराध्या, 18-श्रीकृष्णाराधिका, 19-नित्यकृष्णानुकूल्यमयी, 20-श्रीकृष्णप्रेमतरंगिणी, 21-श्रीकृष्णर्पितमनोबुद्धि, 22-श्रीकृष्णसेवामयी, 23-श्रीकृष्णाश्रया, 24-श्रीकृष्णाश्रिता, 25-श्रीकृष्ण-कीर्तिध्वजा, 26-श्रीकृष्णात्मस्वरूपा। इनमें श्रीराधा का एक-एक गुण उनके जीवन का एक-एक इतिहास है। ये गुण भक्तों के आदर्श ज्योतिर्मय पथ हैं, कर्मयोगियों के त्याग की शिक्षा देने वाले हैं और ज्ञानियों तत्त्व का साक्षात्कार कराने वाले हैं। |
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