श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीश्रीराधा-स्वरूप-गुण-महिमाश्रीराधा-जन्माष्टमी (सं 2020) पर हनुमानप्रसाद पोद्दार के गोरखपुर में प्रवचन (दिन में)
आज श्रीराधारानी के प्राकट्य-महोत्सव का महापर्व है। जैसे भगवान श्रीकृष्ण नित्य अनादि हैं, वैसे ही श्रीराधारानी भी नित्य अनादि हैं। जैसे सारे जीवों की भाँति भगवान प्राक्तन कर्म तथा संस्कारवश तदनुरूप पाश्चभौतिक देह धारण करके कर्मफल नहीं भोगते और न वे जीवों की भाँति अहंकार-आसक्ति-कामनावश नवीन कर्म करते हैं, इसी से भगवान के ‘जन्म-कर्म’ दिव्य- असाधारण, अलौकिक तथा अप्राकृत हैं, उनका विग्रह नित्य सच्चिदानन्दमय है, उसका न तो ग्रहण और त्याग है, न उसमें हानोपादान है और न वह उदयास्त-स्वभाव है- वह नित्य, सत्य, कालातीत और निर्विकार है, वैसे ही सच्चिदानन्दविग्रहा, दिव्य भगवदानन्दांश-घनीभूता, नित्य ह्लादिनीमूर्ति श्रीराधारानी का यह मंगल विग्रह भी सर्वथा दिव्य है। |
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