श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
‘स्वयं भगवान’ श्रीकृष्ण का प्राकट्य
बड़ी प्रतीक्षा में थे वे पुण्यजीवन पापी असुर-दैत्य-दानव-मानव, जिनको प्रभु के परम शुभ कर-कमलों के चारू प्रहार से ही कलेवर त्यागकर परम गति को प्राप्त करना था; प्रतीक्षा कर रही थी पृथ्वी माता, जो असुरों तथा असुररूपधारी राजाओं के भीषण भार से मुक्ति पाने के लिये भगवान से आश्वासन प्राप्त कर चुकी थी; प्रतीक्षा कर रहे थे। |
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