श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीराधा-कृष्ण का तात्विक स्वरूप(झ) प्रश्न- क्या इस स्वरूप का साक्षात्कार भी हो सकता है? हो सकता है तो किस उपाय से? उत्तर- अवश्य ही हो सकता है। जब युगलसरकार कृपा करके अपने दुर्लभ दर्शन देना चाहें तभी दर्शन हो सकते हैं। उनकी कृपा ही उनके साक्षात्कार का उपाय है। प्रश्न- क्या साक्षात्कार में भगवान की मुरलीध्वनि, नूपुरध्वनि सुनायी दे सकती है? क्या उनके श्रीअंग की मधुर दिव्य गन्ध और उनके दिव्य चिन्मय चरणों का स्पर्श प्राप्त हो सकता है? उत्तर- दर्शन होन पर उनकी कृपा से सभी कुछ हो सकता है। परंतु एक बात याद रखनी चाहिये कि ये सब बातें ध्यान में भी हो सकती हैं। जैसे स्वप्न में देखना, सुनना, सूँघना, स्पर्श करना सब कुछ होता है परंतु वस्तुतः वहाँ अपने से भिन्न कोई वस्तु नहीं होती, सब मन की ही कल्पना होती है, उसी प्रकार ध्यान काल में भी मनोनिर्मित विग्रह का स्पर्श, मुरलीध्वनि या नूपुरध्वनि का श्रवण, मधुर गन्ध का ग्रहण हो सकता है। उसमें और साक्षात्कार में बड़ा अन्तर है; परंतु इस अन्तर का पता साक्षात्कार होन पर ही लगता है, पहले नहीं। ध्यान होना भी बड़े ही सौभाग्य का विषय है। |
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