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श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीराधा-कृष्ण की अष्टकालीन स्मरणीय सेवासाधकगण श्रीव्रजधाम में अपनी अवस्थिति का चिन्तन करते हुए अपनी-अपनी गुरुस्वरूपा मंजरी के अनुगत होकर, एक परम सुन्दरी गोपकिशोरीरूपिणी अपने-अपने सिद्ध मंजरी-देह की भावना करते हुए, श्रीललितादि सखीरूपा तथा श्रीरूप-मंजरी आदि मंजरीरूपा नित्यसिद्धा व्रजकिशोरियों की आज्ञा के अनुसार परम प्रेमपूर्वक मानस में दिवानिशि श्रीराधा-गोविन्द की सेवा करें। निशान्तकालीन सेवा
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- ↑ सूर्योदय से पूर्व ६ घड़ी (दो घंटे, २४ मिनट) का काल ‘ब्राह्ममुहूर्त’ कहलाता है।
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