श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
तुम अलग-अलग लक्ष्मी, दुर्गा, धात्री और सावित्री हो; गोलोक में स्वयं राधा हो और रास में सदा रासेश्वरी हो।
श्रीराधादेवी जगत की रचना करने वाली, उसके पालन में तत्पर रहने वाली और (प्रलय के समय) संहार करने वाली है तथा सम्पूर्ण जगत की प्रसविनि- जननी है।
श्रीकृष्ण इनकी आराधना करते हैं, इसलिये ये राधा हैं और ये सदा श्रीकृष्ण की समाराधना करती हैं, इसलिये ‘राधिका’ कहलाती हैं। |
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क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
- ↑ ब्रह्मवैवर्तपुराण
- ↑ बृहन्नारदीय पुराण
- ↑ राधोपनिषद्