धृतराष्ट्र आदि का गंगातट से कुरुक्षेत्र गमन

महाभारत आश्रमवासिक पर्व में आश्रमवास पर्व के अंतर्गत 19वें अध्याय में वैशम्पायन जी ने धृतराष्ट्र आदि का गंगातट पर निवास करके वहाँ से कुरुक्षेत्र जाने का वर्णन किया है, जो इस प्रकार है[1]-

धृतराष्ट्र आदि का गंगातट से कुरुक्षेत्र जाना

वैशम्पायन जी कहते हैं- जनमेजय! तदनन्तर दूसरा दिन व्यतीत होने पर राजा धृतराष्ट्र ने विदुर जी की बात मानकर पुण्यात्मा पुरुषों के रहने योग्य भागीरथी के पावन तट पर निवास किया। भरतश्रेष्ठ! वहाँ वनवासी ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बहुत बड़ी संख्या में एकत्र होकर राजा से मिलने को आये। उन सबसे घिरे हुए राजा धृतराष्ट्र ने अनेक प्रकार की बातें करके सबको प्रसन्न किया और शिष्यों सहित ब्राह्मणों का विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें जाने की अनुमति दी। तत्पश्चात् सांयकाल में राजा तथा यशस्विनी गान्धारी देवी ने गंगा जी के जल में प्रवेश करके विधिपूर्वक स्नान कार्य सम्पन्न किया। भरतनन्दन! वे तथा विदुर आदि पुरुष वर्ग के लोग सबने पृथक-पृथक घाटों में गोता लगाकर संध्योपासन आदि समस्त शुभ कार्य पूर्ण किये। राजन! स्नानादि कर लेने के पश्चात् अपने बूढ़े श्वसुर धृतराष्ट्र और गान्धारी देवी को कुन्ती देवी गंगा के किनारे ले आयीं। वहाँ यज्ञ कराने वाले ब्राह्मणों ने राजा के लिये एक वेदी तैयार की, जिस पर अग्नि स्थापना करके उस सत्यप्रतिज्ञ नरेश ने विधिवत अग्निहोत्र किया। इस प्रकार नित्यकर्म से निवृत्त हो बूढे़ राजा धृतराष्ट्र इन्द्रिय संयमपूर्वक नियम परायण हो सेवकों सहित गंगा तट से चलकर कुरुक्षेत्र में जा पहुँचे।


टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. महाभारत आश्रमवासिक पर्व अध्याय 19 श्लोक 1-18

सम्बंधित लेख

महाभारत आश्रमवासिक पर्व में उल्लेखित कथाएँ


आश्रमवास पर्व

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पुत्रदर्शन पर्व

धृतराष्ट्र का मृत बान्धवों के शोक से दुखी होना | गांधारी और कुंती का व्यास से मृत पुत्रों के दर्शन का अनुरोध | कुंती का कर्ण के जन्म का गुप्त रहस्य बताने का वर्णन | व्यास द्वारा कुंती को सांत्वना देना | व्यास द्वारा धृतराष्ट्र आदि के पूर्वजन्म का परिचय | व्यास के कहने पर सब लोगों का गंगा तटपर जान | व्यास के प्रभाव से कौरव-पाण्डवों का गंगा नदी से प्रकट होना | परलोक से आये व्यक्तियों का रागद्वेषरहित होकर मिलना | व्यास आज्ञा से विधवा क्षत्राणियों का अपने पतियों के लोक जाना | पुत्रदर्शन पर्व के श्रवण की महिमा | वैशम्पायन द्वारा जनमेजय की शंका का समाधान | व्यास की कृपा से जनमेजय को अपने पिता के दर्शन | व्यास की आज्ञा से धृतराष्ट्र आदि पाण्डवों को विदा करना | पाण्डवों का सदलबल हस्तिनापुर में आना

नारदागमन पर्व

नारद का युधिष्ठिर को धृतराष्ट्र आदि के दावानल में दग्ध होने का समाचार देना | युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र आदि की मृत्यु पर शोक करना | धृतराष्ट्र आदि की मृत्यु पर युधिष्ठिर एवं अन्य पांडवों का विलाप | युधिष्ठिर द्वारा धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती की हड्डियों को गंगा में प्रवाहित करना

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