युधिष्ठिर आदि के पास ऋषियों सहित व्यास का आगमन

महाभारत आश्रमवासिक पर्व में आश्रमवास पर्व के अंतर्गत 27वें अध्याय में वैशम्पायन जी ने युधिष्ठिर आदि के पास ऋषियों सहित व्यास के आगमन का वर्णन किया है, जो इस प्रकार है[1]-

युधिष्ठिर आदि के पास ऋषियों सहित व्यास का आगमन

वैशम्पायन जी कहते हैं- राजन! वे सब लोग इस प्रकार बैठे ही थे कि कुरुक्षेत्र निवासी शतयूप आदि महर्षि वहाँ आ पहुँचे। देवर्षियों से सेवित महातेजस्वी विप्रवर भगवान व्यास ने भी शिष्यों सहित आकर राजा को दर्शन दिया। उस समय कुरुवंशी राजा धृतराष्ट्र, पराक्रमी कुन्तीकुमार युधिष्ठिर तथा भीमसेन आदि ने उठकर समागत महर्षियों को प्रणाम किया। तदनन्तर शतयूप आदि से घिरे हुए नवागत महर्षि व्यास राजा धृतराष्ट्र से बोले- ‘बैठ जाओ’। इसके बाद व्यास जी स्वयं एक सुन्दर कुशासन पर, जो काले मृगचर्म से आच्छादित तथा उन्हीं के लिये बिछाया गया था, विराजमान हुए। फिर व्यास जी की आज्ञा से अन्य सब महातेजस्वी श्रेष्ठ द्विजगण चारों ओर बिछे हुए कुशासनों पर बैठ गये।


टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. महाभारत आश्रमवासिक पर्व अध्याय 27 श्लोक 1-26

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महाभारत आश्रमवासिक पर्व में उल्लेखित कथाएँ


आश्रमवास पर्व

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पुत्रदर्शन पर्व

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नारदागमन पर्व

नारद का युधिष्ठिर को धृतराष्ट्र आदि के दावानल में दग्ध होने का समाचार देना | युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र आदि की मृत्यु पर शोक करना | धृतराष्ट्र आदि की मृत्यु पर युधिष्ठिर एवं अन्य पांडवों का विलाप | युधिष्ठिर द्वारा धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती की हड्डियों को गंगा में प्रवाहित करना

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