युधिष्ठिर का कलश आदि बाँटना और धृतराष्ट्र के पास बैठना

महाभारत आश्रमवासिक पर्व में आश्रमवास पर्व के अंतर्गत 27वें अध्याय में वैशम्पायन जी ने युधिष्ठिर का कलश आदि बाँटने और धृतराष्ट्र के पास बैठने का वर्णन किया है, जो इस प्रकार है[1]-

युधिष्ठिर का कलश आदि बाँटना

वैशम्पायन जी कहते हैं- राजन! उस समय राजा युधिष्ठिर ने तपस्वियों के लिये लाये हुए सोने और ताँबे के कलश, मृगचर्म, कम्बल, स्त्रुक, स्त्रुवा, कमण्डलु, बटलोई, कड़ाही, अन्यान्य लोहे के बने हुए पात्र तथा और भी भाँति-भाँति के बर्तन बाँटे। जो जितना और जो-जो बर्तन चाहता था, उसको उतना ही और वही बर्तन दिया जाता था। दूसरा भी आवश्यक पात्र दे दिया जाता था।

युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र के पास बैठना

इस प्रकार धर्मात्मा राजा पृथ्वीपति युधिष्ठिर आश्रमों में घूम-घूमकर वह सारा धन बाँटने के पश्चात धृतराष्ट्र के आश्रम पर लौट आये। वहाँ आकर उन्होंने देखा कि राजा धृतराष्ट्र नित्य कर्म करके गान्धारी के साथ शान्त भाव से बैठे हुए हैं और उनसे थोड़ी ही दूर पर शिष्टाचार का पालन करने वाली माता कुन्ती शिष्या की भाँति विनीत भाव से खड़ी हैं। युधिष्ठिर ने अपना नाम सुनाकर राजा धृतराष्ट्र का प्रणामपूर्वक पूजन किया और ‘बैठो’ यह आज्ञा मिलने पर वे कुश के आसन पर बैठ गये। भरतश्रेष्ठ! भीमसेन आदि पाण्डव भी राजा के चरण छूकर प्रणाम करने के पश्चात उनकी आज्ञा से बैठ गये। उनसे घिरे हुए कुरुवंशी राजा धृतराष्ट्र वैसी ही शोभा पा रहे थे, जैसे उज्ज्वल ब्रह्मतेज धारण करने वाले बृहस्पति देवताओं से घिरे हुए सुशोभित होते हैं।


टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. महाभारत आश्रमवासिक पर्व अध्याय 27 श्लोक 1-26

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महाभारत आश्रमवासिक पर्व में उल्लेखित कथाएँ


आश्रमवास पर्व

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पुत्रदर्शन पर्व

धृतराष्ट्र का मृत बान्धवों के शोक से दुखी होना | गांधारी और कुंती का व्यास से मृत पुत्रों के दर्शन का अनुरोध | कुंती का कर्ण के जन्म का गुप्त रहस्य बताने का वर्णन | व्यास द्वारा कुंती को सांत्वना देना | व्यास द्वारा धृतराष्ट्र आदि के पूर्वजन्म का परिचय | व्यास के कहने पर सब लोगों का गंगा तटपर जान | व्यास के प्रभाव से कौरव-पाण्डवों का गंगा नदी से प्रकट होना | परलोक से आये व्यक्तियों का रागद्वेषरहित होकर मिलना | व्यास आज्ञा से विधवा क्षत्राणियों का अपने पतियों के लोक जाना | पुत्रदर्शन पर्व के श्रवण की महिमा | वैशम्पायन द्वारा जनमेजय की शंका का समाधान | व्यास की कृपा से जनमेजय को अपने पिता के दर्शन | व्यास की आज्ञा से धृतराष्ट्र आदि पाण्डवों को विदा करना | पाण्डवों का सदलबल हस्तिनापुर में आना

नारदागमन पर्व

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