श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
ध्यान‘‘भगवान ने कहा- ‘आप श्रीयमुनाजी के पश्चिमतट पर मेरे वृन्दावन में जाइये, वहाँ आपको मेरे स्वरूप के दर्शन होंगे।’ इतना कहकर भगवान अन्तर्धान हो गये।’ मैंने उसी क्षण मनोहर यमुना तट पर जाकर देखा- समस्त देवताओं के ईश्वरों के ईश्वर भगवान श्रीकृष्ण मनोहर गोपवेष धारण किये हुए हैं। उनकी सुन्दर किशोर अवस्था है। श्रीराधाजी के कंधे पर अपना अति मनोहर बायाँ हाथ रखे वे सुन्दर त्रिभगीं से खड़े मुसकरा रहे हैं। आपके चारों ओर गोपियों का मण्डल है। शरीर की कान्ति सजल जलद के सदृश स्त्रिग्ध श्याम वर्ण है। आप अखिल कल्याण के एकमात्र आधार हैं। ‘‘इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अमृतोपम मधुर वाणी में मुझसे कहा-
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- ↑ पद्मपुराण, पातालखण्ड
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