श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीयुगल-स्वरूप की उपासना(ख) प्रश्न- श्रीराधा‚ सीता‚ उमा आदि भगवान की स्वरूपा-शक्तियों की उपासना के अधिकारी में कौन-कौन-सी बातें होनी चाहिये? उत्तर-
उपर्युक्त छः दोषों से बचकर और विषयासक्ति को त्याग कर निम्नलिखित रूप में मुख्य साधना करनी चाहिये-
यह बहुत ही रहस्य का विषय है। इसलिये इस विषय पर विशेष रूप से लिखना अनुचित है। इस मार्ग पर पैर रखना आग पर खेलना है। जो बिना इसका रहस्य समझे इस पथ में प्रवेश करना चाहता है‚ वह गिर जाता है। जिसके हृदय में तनिक-सा काम-विकार हो‚ उसे इस मार्ग से डरकर सदा अलग ही रहना चाहिये। अवश्य ही जो अधिकारी साधक हैं‚ उन्हें इस मार्ग में जो अतुल दिव्य आनन्द है‚ उसकी प्राप्ति होती है। श्रीराधिकाजी की सेविकाओं की सेवा में सफल होने पर स्वंय श्रीराधिकाजी की सेवा का अधिकार मिलता है और श्रीराधिका जी की सेवा ही युगलस्वरूप की कृपा प्राप्त करने प्रधान उपाय है। जो ऐसा नहीं कर सकते‚ उन्हें युगलस्वरूप की प्राप्ति बहुत ही कठिन है। |
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