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श्रीभगवान के लीला-चरित्र से शिक्षा तथा कर्तव्य
भारत पर इस समय भीषण संकट के बादल छाये हैं और वह ‘किंकर्तव्यविमूढ़’ हो रहा है। चीनासुर तथा पाकासुर सिर पर चढ़े आ रहे हैं। इस समय आध्यात्मिक भागवती शक्ति की आराधना करके उसे जगाना और उससे अमोघ बल प्राप्त करना विशेष प्रयोजनीय है। अन्त में प्रार्थना कीजिये -
- सत्-चित्-घन परिपूर्णतम परम प्रेम-आनन्द।
- विश्वेश्वर वसुदेवसुत, नँननंदन गोविन्द।।
- जयति यशोदातनय हरि, देवकि-सुवन ललाम।
- राधा-उर-सरसिज-तपन, मधुरत अलि अभिराम।।
- वाणी हो गुण-गान-रत, कर्ण श्रवण-गुण लीन।
- मन सुरूप-चिन्तन-निरत, तन सेवा-आधीन।।
- पूर्ण समर्पित रहें नित, तन-मन-बुद्धि अनन्य।
- सहज सफलता प्राप्तकर, हो मम जीवन धन्य।।
- नंद के आनंद भयौ, जै कन्हैया लाल की!
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