श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
इस परम पावनी मथुरा नगरी में कंस के कारागार का वह स्थान परम धन्य है, जहाँ सर्वलोकमहेश्वर, सर्वात्मा, सर्वमय और सर्वातीत योगेश्वरेश्वर स्वयं भगवान का दिव्य प्राकट्य हुआ था और हम लोग भी परम धन्य हैं, जो आज उनके दिव्य जन्म-महोत्सव के इस परम पावन धन्य दिवस पर- उसी परम पावन स्थान पर एकत्र होने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं, जहाँ उनका जन्म हुआ था। हम कृतज्ञ हैं प्रातः स्मरणीय महामना मालवीय जी के तथा आदर्श-चरित्रधर्म हृदय श्री जुगलकिशोर जी बिड़ला के- जिनके उत्साह, लगन, सदाग्रह, अध्यवसाय, प्रयत्न तथा उदारता से यह श्रीकृष्ण जन्मभूमि पुनः श्रीकृष्ण जन्मभूमि के गौरव को प्राप्त कर सकी। श्रीकृष्णजन्मभूमि-उद्धार के इस महान कार्य से देश का मुख उज्ज्वल हुआ है। किसी एक पद्धति से होने वाली पूजा स्थली को किसी अवतार अथवा महापुरुष के जन्म या लीला-स्थल को बलात् हस्तगत करके उस पर अपना अधिकार जमाना पाप है और ऐसा अधिकार जब तक रहता है, तब तक वह कलंक, वह पाप, उस पाप की स्मृति तथा तज्जन्य रागद्वेष बना रहता है। यहाँ का यह पाप-कलंक मिटने से देश का मुख यथार्थ में ही उज्ज्वल हुआ। कुछ दिनों पहले तक हमारे देश में ‘पर-राज्य’ था- अब ‘स्व-राज्य’ है। इस समय तो ऐसा एक भी कलंक नहीं रहना चादिये। |
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