श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीयुगल-स्वरूप की उपासनायह कल्पना का लोक नहीं है- परात्पर सत्य का दिव्यलोक है। कोई आवश्यकता नहीं कि इसे किसी को समझाया जाय; भगवान को इसकी आवश्यकता नहीं कि लोग उनके इस राज्य को मानें ही। पर तो भी इस भाव राज्य में प्रवेश होता है भगवत्कृपा से ही। इस भाव राज्य में प्रवेश करने पर भक्त प्रभु के सिवा अन्य किसी को मानता, जानता, समझता नहीं। सारा संसार विरोध करे, लाख करे; पर उनको तो संसार की कोई परवा ही नहीं। जगत् की समालोचना का विषय यह है ही नहीं।
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