विषय सूची 1 श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार 2 एक कृष्णप्रेमी के पत्र का उत्तर 2.1 (उत्तर) 3 संबंधित लेख श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार एक कृष्णप्रेमी के पत्र का उत्तर (उत्तर) नंदसुवन-सेवा ही सब कौ परम चरम फल। बिना दाम घनस्याम-हाथ बिकिबौ अति मंगल।। दारुन ग्रह, दुदैंव स्याम-चेरिहि न सतावैं। स्याम-प्रेम सब काम सदा बरबस करवावै।। चेरी कौ चित सदा एक स्यामै पहिचानै। भलौ-बुरौ परिनाम स्याम-पीतम ही जानैं।। है निश्चिंत, अचिंत्य स्याम-पद सेवन कीजै। दिवस-रैन मन-चैन स्याम-सुमिरन चित दीजै।। बिनु पंखन के बाल-बिहँग जोहैं जननीं-मग। जिमि पत्नी पिय-दरस-हेतु आकुल-चित्त डगमग।। तिमि प्यारे पीतम के अति पावन बिरहानल। जरि-जरि लहियै अमल अलौकिक आनँद प्रतिपल।। स्याम-चरन कौ एक भरोसौ कबहुँ न तजियो। अग-जग की चिंता बिसारि गोपालै भजियो।। मोपै हू करि कृपा इहै श्रीहरि सौं कहियो। अपनी ओर निहारि छोह नित करते रहियो।। संबंधित लेख श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार क्रमांक पाठ का नाम पृष्ठ संख्या श्रीराधा 1. प्रार्थना (पद्य) 8 2. नारदकृत राधा-स्तवन 9 3. श्रीवृषभानुनन्दिनी से प्रार्थना 12 4. श्रीराधाजी कौन थी? 16 5. श्रीराधा-महिमा 22 6. श्रीराधा-प्रेम का स्वरूप 30 7. श्रीराधा का त्यागमय एकांकी निर्मल भाव 31 8. श्रीराधाभाव की एक झाँकी 34 9. श्रीराधा का स्वरूप 47 10. राधा-कृष्ण की अभिन्नता तथा राधा प्रेम की विशुद्धता 62 11. श्रीराधा की प्रेम-साधना और उनका अनिर्वचनीय स्वरूप 80 12. श्रीराधा-माधव का महत्त्व, स्वरूप, तत्त्व और सम्बन्ध 111 13. श्रीश्रीराधा के परम भाव-राज्य की एक झाँकी 144 14. श्रीराधा-तत्त्व एवं राधा-स्वरूप की नितान्त दुर्गमता 166 15. श्रीराधा-स्वरूप-गुण-महिमा 185 16. श्रीराधा-नाम-रूप-महिमा और राधा-प्रेम का स्वरूप 212 17. श्रीश्रीराधा-स्वरूप-गुण-महिमा 260 18. श्रीराधा के तत्त्व-स्वरूप-लीला का पुण्यस्मरण 284 19. श्रीराधाका स्वरूप और महत्त्व 314 20. रसस्वरूप श्रीकृष्ण और भावस्वरूपा गोपांगनासमन्वित श्रीराधाजी का तत्त्व-महत्त्व 348 21. श्रीराधा के दिव्य रूप और उनके आराधन का महत्त्व 377 22. श्रीराधामाधव का दिव्य स्वरूप 402 23. श्रीराधा-माधव का मधुर रूप-गुण-तत्त्व 431 श्रीकृष्ण 1. प्रार्थना (पद्य) 460 2. श्रीकृष्ण पूर्ण ब्रह्म भगवान हैं 461 3. श्रीराधा के प्रति भगवान श्रीकृष्ण का तत्त्वोपदेश 468 4. श्रीकृष्ण का स्वरूप-तत्व 471 5. गीता और भागवत के श्रीकृष्ण 473 6. भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य पर स्वागतोत्सव 474 7. श्रीकृष्ण का प्राकट्य 492 8. श्रीकृष्ण जन्म-महोत्सव 518 9. स्वयं भगवानका दिव्य जन्म 538 10. श्रीकृष्णका भूलोक में प्राकटय 553 11. ‘स्वयं भगवान’ श्रीकृष्ण का प्राकटय 567 12. श्रीकृष्ण का परम स्वरूप और उनका प्रेम 578 13. चोर-जार-शिखामणि 579 14. श्रीकृष्ण चरित्र की उज्जवलता 592 15. व्रजसुन्दरियों के भगवान 597 16. श्रीकृष्ण दर्शन की साधना 603 17. सौन्दर्य-लालसा 608 18. बिखरे सुमन 614 19. भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप और अवतार के हेतु 616 20. भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य और उनके आदर्श मधुर चरित्र का स्मरण 633 21. अखिलरसामृतमूर्ति भगवान श्रीकृष्ण का आविर्भाव 641 22. भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप-तत्त्व और महत्व 651 23. पूर्ण परात्पर भगवान श्रीकृष्ण का आविर्भाव 671 24. लीला-पुरुषोत्तम का प्राकट्य 686 25. स्वयं-भगवान कब और क्यों आते हैं? 691 26. श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी-महोत्सव 700 श्रीराधा-माधव 1. प्रार्थना (पद्य) 709 2. श्रीराधा-माधव की एकरूपता 710 3. श्रीराधा-कृष्ण एक ही तत्व हैं 710 4. दिव्य युगल 713 5. श्री युगत-तत्व और उनसे प्रार्थना (पद्य) 713 6. युगलतत्व की एकता 716 7. उपनिषद में युगल-स्वरूप 718 8. श्रीयुगल-स्वरूप की उपासना 725 9. श्रीराधा-कृष्ण की उपासना 737 10. श्रीराधा-कृष्ण की अष्टकालीन स्मरणीय सेवा 742 11. विनय (पद्य) 751 12. राधा-माधव से प्रार्थना (पद्य) 752 भावराज्य तथा लीला-रहस्य 1. भावराज्य की विलक्षणता 753 2. भाव-राज्य 754 3. भाव-राज्य की महिमा 755 4. भगवान की नित्य-लीला 762 5. नित्य लीला के समझने का अधिकार 763 6. भगवदवतार का रहस्य 765 7. माखनचोरी का रहस्य 768 8. चीरहरण-रहस्य 777 9. दिव्य रासक्रीडा का स्वरूप तथा महत्त्व 785 10. रासलीला-रहस्य 791 11. श्रीकृष्ण-लीला के अन्ध-अनुकरण से हानि 804 12. श्रीकृष्ण-लीलानुकरण हानिकारक 806 13. भगवान की सब लीलाओं का अनुकरण नहीं हो सकता 809 14. बिखरे सुमन 811 15. निकुन्जलीला के दर्शनाधिकारी 818 प्रेम-तत्त्व 1. प्रेमाधीन भगवान (पद्य) 819 2. भक्ति के विभिन्न स्वरूपों में प्रेम-भक्ति का स्थान 819 3. भाव के विभिन्न स्तर 827 4. रति, प्रेम और राग के तीन-तीन प्रकार 828 5. प्रेम और ब्राह्मी स्थिति 830 6. प्रेमभक्ति में भगवान और भक्त का सम्बन्ध 831 7. दिव्य प्रेम 834 8. प्रेम का स्वरूप 846 9. भगवत्प्रेमसम्बन्धी कुछ बातें 849 10. प्रेम मुँह की बात नहीं है 852 11. प्रियतम प्रभु का प्रेम 853 12. श्रेय-प्रेयस्वरूप श्रीकृष्ण 854 13. प्रेमी का स्वरूप 855 14. प्रेमी के काम-क्रोधादि के पात्र-प्रियतम भगवान 862 15. भगवत्प्रेम की प्राप्ति के साधन 870 16. भगवत्प्रेम की अभिलाषा 871 17. भगवत्प्रेम की प्राप्ति का साधन-उत्कट चाह 872 18. भगवद्विरह की दुर्लभ स्थिति 874 19. प्रेमी की तल्लीनता 877 20. प्रियतम का नित्य-स्मरण 878 21. भगवत्कृपा से ही भगवत्प्रेम की प्राप्ति 880 22. प्रेम में विषय-वैराग्य की अनिवार्यता 881 23. प्रियतम की प्राप्ति कण्टकाकीर्ण मार्ग से ही होती है 882 24. प्रेम और विधि-निषेध 885 25. बिखरे सुमन 887 26. प्रेम-एकादशी (पद्य) 897 27. प्रेम का नेम (पद्य) 899 श्रीगोपांगना 1. वन्दना (पद्य) 900 2. मोक्ष-संन्यासिनी गोपियाँ 901 3. गोपी-प्रेम 914 4. गोपीहृदय में प्रेम-समुद्र 955 5. गोपी-प्रेम की महिमा 956 6. गोपियों के श्रीकृष्ण 957 7. श्रीगोपांगनाओं की महत्ता 958 8. गोपी भाव की साधना 961 9. गोपीभाव की प्राप्ति 976 10. साधक का सिद्धदेह 977 11. सिद्ध सखीदेह 980 12. गोपी-प्रेम की साधना और सिद्धि (पद्य) 981 14. गोपियों की महिमा (पद्य) 983 प्रकीर्ण 1. प्रार्थना (पद्य) 983 2. एक कृष्णप्रेमी के पत्र का उत्तर (पद्य) 984 3. स्वागत की तैयारी करो 990 4. ‘लँगर मोरि गागर फोरि गयौ’ 991 5. तीन मधुर प्रसंग 996 6. नादब्रह्म - मोहन की मुरली 1004 7. मधुर स्वर सुना दो! 1014 8. वह दिन कब आयेगा? 1017 9. एक लालसा 1019 10. प्रियतम से प्रार्थना! 1022 11. प्यारे कन्हैया 1023 परिशिष्ट 1. श्रीराधा, श्रीराधा-नाम और राधा-उपासना सनातन है 1024 2. वृन्दावन वास के लिये स्थिर मन की आवश्यकता 1031 3. ‘श्रीराधा-माधव-चिन्तन’ पर सम्माननीय विद्वानों के विचार 1034 4. श्रीराधा-श्रीकृष्ण का नित्यरूप (पद्य) 1053 5. प्रार्थना (पद्य) 1056 6. अंतिम पृष्ठ 1058 वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः