श्रीकृष्णांक
श्रीकृष्ण की होली
7- कुछ लोग इस तूफान को ईश्वर से अलग एक ‘शैतान’ नाम की शक्ति से उत्पन्न हुआ मानते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि ईश्वर का अन्तिम प्रयोजन मनुष्य को विजयी करना है और इसलिये वर्तमान तूफान परिणाम की दृष्टि से बुरा नहीं, किन्तु ये दोनों मत भ्रमपूर्ण हैं, शैतान नाम की ईश्वर से जुदी शक्ति के मानने से ईश्वर की अपरिच्छिन्न प्रभुता का बोध होता है। राग द्वेष रूपी तूफान परिणाम में सुखकर हैं, इस बात से भी सन्तोष नहीं होता। परिणाम भले ही अच्छा हो, परन्तु तूफान की वर्तमान स्थिति अवश्य ही ईश्वर की अपूर्णता की सूचक है। इस बात पर सन्तोष करने के लिये किसी को कहना मानो ईश्वर की ओर से उससे क्षमा माँगने जैसा है। 8- पूर्वोक्त विषयों पर विचार करने से मालूम होता है कि इन दार्शनिक समस्याओं को सुलझाना अत्यन्त कठिन है तथापि हम इन्हें विशद करने के लिये दो बड़े महत्त्व के सिद्धान्त आगे चलकर निरूपण करना उचित समझते हैं। 9- राग द्वेषादि वृत्तियाँ अविद्या से उत्पन्न हुई हैं और अविद्या जीव के स्वयं पूर्व-पूर्व जन्मों के कर्मों का फल है, यह एक सिद्धान्त है, किन्तु इस पर भी आक्षेप हो सकता है। वर्तमान अविद्या पूर्व जन्म के कर्म से है, पूर्व जन्म का कर्म उसके पहले की अविद्या से है, वह अविद्या उसके पहले के कर्मों से है। इस प्रकार बराबर अनवस्था चलती रहेगी। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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