(लेखक – बाबू जगन्नाथप्रसाद ‘भानु’ )
रास बिलासी घटघटवासी, अरज सुनैया तुम्हीं तो हो ।
चार जुगन मं नाम सुना है, कृष्ण कन्हैया तुम्हीं तो हो ।।
मथुरा जी में मातु पिता की, बन्दि कटैया तुम्हीं तो हो ।
नन्दगांव में नन्दमहरि घर, गोद भरैया तुम्हीं तो हो ।।
अघा, बकासुर और पूतना, नाश करैया तुम्हीं तो हो ।
प्यारे भैया बलदाऊ के, संग रहैया तुम्हीं तो हो ।।
ग्वालबाल संग बन में जाके, धेनु चरैया तुम्हीं तो हो ।
चार जुगन में नाम सुना है, कृष्ण कन्हैया तुम्हीं तो हो ।।1।।
छिप-छिप गृह गोपिन के माखन, दही चुरैया तुम्हीं तो हो ।
कालीदह में कूदि कालिया नाग नथैया तुम्हीं तो हो ।।
वृन्दावन की कुंजगलिन में, वेणु बजैया तुम्हीं तो हो ।
ब्रजबनितन को प्रेममुग्ध करि, चित्त चुरैया तुम्हीं तो हो ।।
ग्वालबाल संग विहरि अनेकन, खेल खिलैया तुम्हीं तो हो ।
चार जगु में नाम सुना है, कृष्ण कन्हैया तुम्हीं तो हो ।।2।।
हाट बाट सब घाट घाट, दधिदान मँगैया तुम्हीं तो हो ।
गोवर्धन को धारण करिकै, ब्रजहिं बचैया तुम्हीं तो हो ।।
बरसाने राधिका छलन हित, नारि बनैया तुम्हीं तो हो ।
शरदऋतु की शरद रैन में, रास रचैया तुम्हीं तो हो ।।
श्रीराधा वृषभाननंदिनी, मान मनैया तुम्हीं तो हो ।
चार जुगन में नाम सुना है, कृष्ण कन्हैया तुम्हीं तो हो ।।3।।