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- कृष्णानंददास
- कृष्णानन्ददास
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम 2
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम 3
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- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम 7
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणीजी का प्रभु में अनन्य प्रेम 2
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- कृष्णावतार
- कृष्णावतार पर वैज्ञानिक दृष्टि (गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी)
- कृष्णावतार पर वैज्ञानिक दृष्टि -गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी
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- कृष्न
- कृष्न कृपा सबही तैं न्यारी -सूरदास
- कृष्न कृपा सबही तैं न्यारी 2 -सूरदास
- कृष्ण
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- कृष्ण–कृष्ण कहते मैं तो कृष्ण हो गया! -रमेशचन्द्र त्रिपाठी
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- केकयराजा की श्रेष्ठता का विस्तृत वर्णन
- केकयराजा तथा राक्षस का उपख्यान
- केतिक दूरि गयौ रथ माई -सूरदास
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- केवल तुम्हें पुकारूँ प्रियतम -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- केवल यही चाहतीं-मैं बस -हनुमान प्रसाद पोद्दार
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- केहि मारग मै जाउं सखी री -सूरदास
- केहिं मारग मैं जाउँ सखी री -सूरदास
- कै तुमसौ छूटै लरि ऊधौ -सूरदास
- कै रति रँग थकी थिर ह्वै -पद्माकर
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- कैसी दिव्य तुम्हारी ममता -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे किसे बताऊँ अब मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे कै भरिहै री दिन सावन के -सूरदास
- कैसे तुमको धीरज दूँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे तुम्हें दिखाऊँ, हे बृषभानुलली! -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे बनै जमुना-न्हान -सूरदास
- कैसे लूँ मैं नाम तुम्हारा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे वह दुखिया माने -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे हैं नंद-सुवन कन्हाई -सूरदास
- कैसे हैं नंद-सुवन कन्हाहई -सूरदास