कैसे वह दुखिया माने -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व

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दोहा


कैसे वह दुखिया माने, क्यों समझे वह अपने को दीन।
जिसके तन-मन वे समझेंगे, भोगेंगे दुख-दैन्य नवीन॥
रखें शरीर, न रखें भले ही, रखें निकट अति, रखें सुदूर।
रखते वे अपने में नित ही, रहते स्वयं सदा भरदूर॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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