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'''3-'''इस प्रतीयमान जगत को परमात्मा ने क्यों और किस प्रकार उत्पन्न किया, इस पर विचार कीजिये। कवि कहता है- | '''3-'''इस प्रतीयमान जगत को परमात्मा ने क्यों और किस प्रकार उत्पन्न किया, इस पर विचार कीजिये। कवि कहता है- | ||
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;यही प्रभु ने ठहराई’</poem> | ;यही प्रभु ने ठहराई’</poem> | ||
श्रुति भी कविता की वाणी में यही कहती है-<br /> | श्रुति भी कविता की वाणी में यही कहती है-<br /> | ||
− | ‘प्रजापति वा एकाऽग्रेऽतिष्ठत् स नारमत’- ‘एकोऽहं बहु स्यां प्रजायेय।’ तात्पर्य यह कि परमात्मा को एकाकी रहना रुचिकर नहीं हुआ, इसलिये उसने यह संकल्प किया कि ‘मैं एक हूँ किन्तु बहुत हो जाऊँ।’ ईसाई लोग भी यही मानते हैं कि परमात्मा ने प्रेम के आपेश में सृष्टि उत्पन्न की है। इन सारे वचनों का यही तात्पर्य है कि जगत परमात्मा से पृथक शुष्क अरण्य के सदृश नहीं है, किन्तु अणु-अणु में उसके ही सत्, चित् और आनन्द रस की मूर्ति प्रकट होती है, उसके ही प्रेम की मधुर ओर ललित लहरियाँ सर्वत्र उमड़ रही हैं। रामूर्ति ‘ श्रीकृष्ण कन्हाई’ ने सर्वत्र ही ऐसी होली मचा रखी है। इसमें शब्द, रूप, रस, गन्ध आदि पाँचों विषयरूपी रंग गुलाल भी वह खूब उड़ा रहा है। जिनकी आँखें में यह विषयरूप गुलाल पड़ गयी, वे सुध बुध खोकर अपने आत्मस्वरूप को भूल बैठे हैं। | + | '''‘प्रजापति वा एकाऽग्रेऽतिष्ठत् स नारमत’-''' '''‘एकोऽहं बहु स्यां प्रजायेय।’''' तात्पर्य यह कि परमात्मा को एकाकी रहना रुचिकर नहीं हुआ, इसलिये उसने यह संकल्प किया कि ‘मैं एक हूँ किन्तु बहुत हो जाऊँ।’ ईसाई लोग भी यही मानते हैं कि परमात्मा ने प्रेम के आपेश में सृष्टि उत्पन्न की है। इन सारे वचनों का यही तात्पर्य है कि जगत परमात्मा से पृथक शुष्क अरण्य के सदृश नहीं है, किन्तु अणु-अणु में उसके ही सत्, चित् और आनन्द रस की मूर्ति प्रकट होती है, उसके ही प्रेम की मधुर ओर ललित लहरियाँ सर्वत्र उमड़ रही हैं। रामूर्ति ‘ श्रीकृष्ण कन्हाई’ ने सर्वत्र ही ऐसी होली मचा रखी है। इसमें शब्द, रूप, रस, गन्ध आदि पाँचों विषयरूपी रंग गुलाल भी वह खूब उड़ा रहा है। जिनकी आँखें में यह विषयरूप गुलाल पड़ गयी, वे सुध बुध खोकर अपने आत्मस्वरूप को भूल बैठे हैं। |
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12:25, 29 मार्च 2018 के समय का अवतरण
श्रीकृष्णांक
श्रीकृष्ण की होली
3-इस प्रतीयमान जगत को परमात्मा ने क्यों और किस प्रकार उत्पन्न किया, इस पर विचार कीजिये। कवि कहता है-
श्रुति भी कविता की वाणी में यही कहती है- |