श्रीकृष्णांक
भगवान श्रीकृष्ण एक थे या अनेक ?
तीसरी बार भगवान श्रीकृष्ण हमारे सामने विष्णु के अवतार के रूपमें उपस्थित होते हैं। प्रो॰ विण्टरनीज़ का कहना है कि ये तीनों रूप एक ही व्यक्ति के हों, यह बात युक्ति से ठीक नहीं जँचती। भगवद्गीता के श्रीकृष्ण अपने को भगवान विष्णु का अवतार बतलाते हैं। कोई भी बुद्धिमान पुरुष इस बात को स्वीकार नहीं करेगा कि महाभारत के चतुर श्रीकृष्ण अथवा पुराणों के नटखट श्रीकृष्ण यही थे। इस अनुमान के आधार पर श्रीकृष्ण-सम्बन्धी उपलब्ध ग्रन्थों और प्रमाणों की आलोचना कर ये विद्वान इस निर्णय पर पहुँचे हैं कि हमारा यह अनुमान ठीक है कम-से-कम इस बात का तो कोई पर्याप्त प्रमाण नहीं मिलता कि यह अनुमान झूठा है और उनकी यह धारणा है कि जिन लोगों ने अभी तक इन तीनों रूपों को एक माना है वे कदाचित भ्रम में हैं।
इतनी बात तो प्रधान विषय के सम्बन्ध में हुई। अब इमें इस प्रश्न के कुछ अवान्तर विषयों पर विचार करना है। छान्दोग्य उपनिषदों में श्रीकृष्ण के लिये ‘देवकीपुत्र’ शब्द का प्रयोग किया गया है। इस बात पर ये सभी विद्वान बड़ा जोर देते हैं और कुछ समान घटनाओं के आधार पर यह कहते हैं कि ‘श्रीकृष्ण को वसुदेव नामक एक सामन्त का पुत्र बतलाना ठीक नहीं है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ The story of krishna being the son of a knight vasudeva, is not true; and name of father seems to have been developed from his (krishna's) very name vasudeva. -Jacobi
- ↑ The story of the Vrishni prince Vasudeva being brought up in a cow settlement is incongruous with his leter career as depicted in the Mahabharat. -Sir R. G. Bhandarkar.
- ↑ It is difficult to believe that Krishna the friend and counciller of pandavas the herald of the doctrine of the Bhagavad Gita the youthful hero and demon-Slayer the favorite, lover of the cowherdens and finally Krishna the incarnation of God Vishnu was one of the same person. -Prof. Winternitz.