श्रीकृष्णांक
क्षमा-प्रार्थना
लेखों के अनुवाद करने में सम्मान मित्र श्रीचिम्मन लाल जी गोस्वामी एम.ए. और ब्रह्मचारी श्रीगोपाल जी ने जो सहायता की, वह तो सर्वथा स्तुत्य है। जिन कृपालु सन्त-महात्मा और विद्वान श्रीकृष्ण प्रेमी महानुभावों ने अपना अमूल्य समय देकर अपने लेख और कविताएं भेजी हैं उनका तो मैं सदा के लिये ऋणी हूँ। श्रीकृष्णांक के लिये अब तक 465 लेख और रचनाएं तो मिल चुकी हैं और प्रतिदिन आ ही रही हैं। इस स्थिति में सब लेखों का न छापा जाना तो स्वाभाविक ही है, युक्तप्रान्त, दिल्ली, पंजाब, काश्मीर, गुजरात, कर्नाटक, मद्रास, महाराष्ट्र, उडीसा, मध्यप्रान्त, मध्यभारत, बंगाल, आसाम प्रभृति प्राय: सभी प्रान्तों से संस्कृत, हिन्दी, मराठी, गुजराती, बंगला, उर्दू, अंग्रेजी भाषाओं में लेख आये हैं। लेखकों में हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, पारसी, चारों ही धर्मावलम्बी महानुभाव हैं हिन्दुओं में साधु, महात्मा, विरक्त, आचार्य, पण्डित, सनातनी आर्य, ब्राह्म, कट्टर प्राचीन पन्थी, कट्टर सुधारक आदि सभी प्रकार के श्रीकृष्णप्रेमी सज्जन हैं। हनुमान प्रसाद पोद्दार
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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