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− | भगवान अब भी हमारे पास हैं। यदि आप और हम उन्हें जानना | + | भगवान अब भी हमारे पास हैं। यदि आप और हम उन्हें जानना चाहें तो हमें त्रिवक्रा की तरह प्रसन्नतापूर्वक अपनी सबसे प्यारी वस्तु उनके अर्पण करनी होगी। उन ब्राह्मणों की तरह यदि हम अन्यान्य कसमों में व्यग्र रहकर भगवान की ओर ध्यान ल देंगे तो भगवान हमें कैसे मिलेंगे? सोचो कि तुम्हारी सबसे प्यारी वस्तु कौन है? अपनी प्रेम करने की शक्ति, सेवा करने की शक्ति, सोचने की शक्ति, और काम करने की शक्ति- प्रत्येक शक्ति को इतनी मूल्यवान बनाओ जितनी तुम बना सको और फिर अपने जीवन को अपने समीपवर्तियों के लिये एक सुगन्धित पदार्थ बना दो। इसके बाद जब भगवान स्वयं पधारेंगे तो वे तुम्हारी भेंट को अवश्य स्वीकार करेंगे। |
<center>'''उद्धव के प्रति'''</center><poem style="text-align:center;">;ऊधो ! यह सूधो ना सँदेसो सुनते ही सखा ! | <center>'''उद्धव के प्रति'''</center><poem style="text-align:center;">;ऊधो ! यह सूधो ना सँदेसो सुनते ही सखा ! |
17:39, 29 मार्च 2018 के समय का अवतरण
विषय सूची
श्रीकृष्णांक
भगवान श्रीकृष्ण की कुछ लीलाएँ और उनसे शिक्षा
भगवान अब भी हमारे पास हैं। यदि आप और हम उन्हें जानना चाहें तो हमें त्रिवक्रा की तरह प्रसन्नतापूर्वक अपनी सबसे प्यारी वस्तु उनके अर्पण करनी होगी। उन ब्राह्मणों की तरह यदि हम अन्यान्य कसमों में व्यग्र रहकर भगवान की ओर ध्यान ल देंगे तो भगवान हमें कैसे मिलेंगे? सोचो कि तुम्हारी सबसे प्यारी वस्तु कौन है? अपनी प्रेम करने की शक्ति, सेवा करने की शक्ति, सोचने की शक्ति, और काम करने की शक्ति- प्रत्येक शक्ति को इतनी मूल्यवान बनाओ जितनी तुम बना सको और फिर अपने जीवन को अपने समीपवर्तियों के लिये एक सुगन्धित पदार्थ बना दो। इसके बाद जब भगवान स्वयं पधारेंगे तो वे तुम्हारी भेंट को अवश्य स्वीकार करेंगे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अर्जुनदास केडिया