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'''केचिदाहुरंजं जातं पुण्यश्लोकस्य कीर्तये।''' | '''केचिदाहुरंजं जातं पुण्यश्लोकस्य कीर्तये।''' | ||
'''यदो: प्रियस्यांववाये मलयस्येव चन्दनम्॥32॥'''<br /> | '''यदो: प्रियस्यांववाये मलयस्येव चन्दनम्॥32॥'''<br /> | ||
− | '''अपरे वसुदेवस्य देवक्यां | + | '''अपरे वसुदेवस्य देवक्यां याचितोऽभ्यगात्।''' |
'''अजस्त्वमस्य क्षेमाय वधाय च सुरद्विषाम्॥33॥'''<br /> | '''अजस्त्वमस्य क्षेमाय वधाय च सुरद्विषाम्॥33॥'''<br /> | ||
'''भारावतरणायान्ये भुवो नाव इवोदधौ।''' | '''भारावतरणायान्ये भुवो नाव इवोदधौ।''' | ||
'''सीदंत्या भूरिभारेण जातो ह्यात्मभुवार्थित:॥34॥'''<br /> | '''सीदंत्या भूरिभारेण जातो ह्यात्मभुवार्थित:॥34॥'''<br /> | ||
− | ''' | + | '''भवेऽस्मिन् क्लिश्यमानानामविद्याकामकर्मभि:।''' |
'''श्रवणस्मरणार्हाणि करिष्यन्निति केचन॥35॥'''<br /> | '''श्रवणस्मरणार्हाणि करिष्यन्निति केचन॥35॥'''<br /> | ||
'''श्रृण्वन्ति गायन्ति गृणंत्यभीक्ष्णश:''' | '''श्रृण्वन्ति गायन्ति गृणंत्यभीक्ष्णश:''' | ||
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'''त एव पश्यन्त्यचिरेण तावकं''' | '''त एव पश्यन्त्यचिरेण तावकं''' | ||
'''भवप्रवाहोपरमं पदाम्बुजम्॥36॥'''</poem> | '''भवप्रवाहोपरमं पदाम्बुजम्॥36॥'''</poem> | ||
− | हे भगवन् ! कोई लोग कहते हैं आपने पुण्यश्लोक महाराजा युधिष्ठिर का यश बढ़ाने के लिये ही यदुवंश में जन्म लिया है, कहा भी है- | + | हे भगवन् ! कोई लोग कहते हैं आपने पुण्यश्लोक [[युधिष्ठिर|महाराजा युधिष्ठिर]] का यश बढ़ाने के लिये ही यदुवंश में जन्म लिया है, कहा भी है- |
<poem style="text-align:center;">'''पुण्यश्लोको नलो राजा पुण्यश्लोको युधिष्ठिर:।'''</poem> | <poem style="text-align:center;">'''पुण्यश्लोको नलो राजा पुण्यश्लोको युधिष्ठिर:।'''</poem> | ||
− | अथवा यों | + | अथवा यों कह सकते हैं कि चन्दन जिस प्रकार मलयाचल की कीर्ति बढ़ाने के लिये उसमें उत्पन्न होता है, उसी भाँति यदु महाराज का यश बढ़ाने के लिये आपने यदुवंश में अवतार लिया है। |
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17:24, 29 मार्च 2018 के समय का अवतरण
विषय सूची
श्रीकृष्णांक
भगवान श्रीकृष्ण का अवतार-प्रयोजन तथा परत्व
प्रभो ! यदि आपका प्रादुर्भाव न हुआ होता तो आपकी इन जगन्मोहिनी लीलाओं का रसास्वादन किस प्रकार किया जाता? ऐसा कहकर श्रीकुन्ती जी श्रीकृष्णावतार के प्रयोजन में मतभेद दिखलाती हैं- हे भगवन् ! कोई लोग कहते हैं आपने पुण्यश्लोक महाराजा युधिष्ठिर का यश बढ़ाने के लिये ही यदुवंश में जन्म लिया है, कहा भी है- पुण्यश्लोको नलो राजा पुण्यश्लोको युधिष्ठिर:। अथवा यों कह सकते हैं कि चन्दन जिस प्रकार मलयाचल की कीर्ति बढ़ाने के लिये उसमें उत्पन्न होता है, उसी भाँति यदु महाराज का यश बढ़ाने के लिये आपने यदुवंश में अवतार लिया है। |