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यह उपसंहार है, (क्योंकि वहाँ अन्य किसी कार्य को करने का तो कोई प्रकरण ही न था)। बीच बीच में विराट रूप प्रदर्शनादि के प्रकरण में भी युद्ध के उपदेश का जो उल्लेख है, वह ‘अभ्यास’ है, इसलिये गीता की रचना महाभारत का युद्ध कराने के ही लिये हुई थी, यह स्वयं गीता तथा दूसरे ग्रन्थों से सिद्ध है। महाभारत को इतिहास न मानना अंग्रेजी शिक्षा का कुफल है। खेद है कि इससे महात्माजी भी न बच सके। महाभारत आर्य जाति का सच्चा इतिहास है। इतिहास का जो प्राचीन लक्षण है, वह महाभारत की इतिहासता पर अक्षरशः चरितार्थ है-<poem style="text-align:center;">;धर्मार्थकाममोक्षाणामुपदेशसमन्वितम्। | यह उपसंहार है, (क्योंकि वहाँ अन्य किसी कार्य को करने का तो कोई प्रकरण ही न था)। बीच बीच में विराट रूप प्रदर्शनादि के प्रकरण में भी युद्ध के उपदेश का जो उल्लेख है, वह ‘अभ्यास’ है, इसलिये गीता की रचना महाभारत का युद्ध कराने के ही लिये हुई थी, यह स्वयं गीता तथा दूसरे ग्रन्थों से सिद्ध है। महाभारत को इतिहास न मानना अंग्रेजी शिक्षा का कुफल है। खेद है कि इससे महात्माजी भी न बच सके। महाभारत आर्य जाति का सच्चा इतिहास है। इतिहास का जो प्राचीन लक्षण है, वह महाभारत की इतिहासता पर अक्षरशः चरितार्थ है-<poem style="text-align:center;">;धर्मार्थकाममोक्षाणामुपदेशसमन्वितम्। | ||
;पूर्ववृत्तकथायुक्तमितिहासं प्रच्क्षते॥</poem> | ;पूर्ववृत्तकथायुक्तमितिहासं प्रच्क्षते॥</poem> | ||
− | महात्मा जी के कथनानुसार ‘आधुनिक अर्थ में’ महाभारत ‘इतिहास’ भले ही न हो, पर प्राचीन अर्थ में इस उद्धृत इतिहास लक्षण के अनुसार महाभारत एक सच्चा इतिहास है, महाभारत का युद्ध ऐतिहासिक घटना है और भगवान श्रीकृष्ण ऐतिहासिक पुरुष हैं, सनातन से हिन्दुओं का ऐसा ही विश्वास चला आता है। | + | महात्मा जी के कथनानुसार ‘आधुनिक अर्थ में’ महाभारत ‘इतिहास’ भले ही न हो, पर प्राचीन अर्थ में इस उद्धृत इतिहास लक्षण के अनुसार महाभारत एक सच्चा इतिहास है, महाभारत का युद्ध ऐतिहासिक घटना है और भगवान श्रीकृष्ण ऐतिहासिक पुरुष हैं, सनातन से हिन्दुओं का ऐसा ही विश्वास चला आता है। आधुनिक अनेक विद्वानों ने भी यही सिद्ध किया है। महात्मा जी का यह भ्रम है कि वह परम प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना को कोरी कल्पना समझकर बिना दीवार के चित्र की कल्पना कर रहे हैं। |
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15:48, 29 मार्च 2018 के समय का अवतरण
विषय सूची
श्रीकृष्णांक
श्रीकृष्ण और महात्मा जी का अनासक्ति योग
अर्जुन के इस क्षुद्र हृदय दौर्बल्य को दूर करने के लिये ही भगवान ने गीता का उपदेश दिया है, यह उपक्रम है। अन्त में भगवान ने अर्जुन से पूछा है- कच्चिदेतच्छुतं पार्थ त्वयैकाग्रेण चेतसा। नष्तो मोह: स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत। अर्थात मेरा मोह दूर हो गया, सन्देह जाता रहा, अब मैं आपका कहना मानूँगा- युद्ध करूँगा। यह उपसंहार है, (क्योंकि वहाँ अन्य किसी कार्य को करने का तो कोई प्रकरण ही न था)। बीच बीच में विराट रूप प्रदर्शनादि के प्रकरण में भी युद्ध के उपदेश का जो उल्लेख है, वह ‘अभ्यास’ है, इसलिये गीता की रचना महाभारत का युद्ध कराने के ही लिये हुई थी, यह स्वयं गीता तथा दूसरे ग्रन्थों से सिद्ध है। महाभारत को इतिहास न मानना अंग्रेजी शिक्षा का कुफल है। खेद है कि इससे महात्माजी भी न बच सके। महाभारत आर्य जाति का सच्चा इतिहास है। इतिहास का जो प्राचीन लक्षण है, वह महाभारत की इतिहासता पर अक्षरशः चरितार्थ है-
महात्मा जी के कथनानुसार ‘आधुनिक अर्थ में’ महाभारत ‘इतिहास’ भले ही न हो, पर प्राचीन अर्थ में इस उद्धृत इतिहास लक्षण के अनुसार महाभारत एक सच्चा इतिहास है, महाभारत का युद्ध ऐतिहासिक घटना है और भगवान श्रीकृष्ण ऐतिहासिक पुरुष हैं, सनातन से हिन्दुओं का ऐसा ही विश्वास चला आता है। आधुनिक अनेक विद्वानों ने भी यही सिद्ध किया है। महात्मा जी का यह भ्रम है कि वह परम प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना को कोरी कल्पना समझकर बिना दीवार के चित्र की कल्पना कर रहे हैं। |