छो (Text replacement - "चैदह" to "चौदह") |
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;कृष्ण ने कैसी होरी मचाई, अचरज लखियो न जाई। | ;कृष्ण ने कैसी होरी मचाई, अचरज लखियो न जाई। | ||
− | ;असत सत कर दिखलाई, कृष्ण ने कैसी होरी.....।।टेक।।</poem><poem style="text-align:center;">;एक समय श्रीकृष्णदेव के, होरी खेलन मन आई, | + | ;असत सत कर दिखलाई, कृष्ण ने कैसी होरी.....।।टेक।।</poem> |
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+ | ;एक समय श्रीकृष्णदेव के, होरी खेलन मन आई, | ||
+ | ;एक समय होरी मचे नहिं कबहूँ, यातें करूँ बहुताई। | ||
;यही प्रभु ने ठहराई, कृष्ण ने कैसी होरी.....।।1।।</poem> | ;यही प्रभु ने ठहराई, कृष्ण ने कैसी होरी.....।।1।।</poem> | ||
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11:44, 29 मार्च 2018 के समय का अवतरण
कृष्णांक
श्रीकृष्ण की होली
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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