श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रियतम श्रीश्यामसुन्दर के द्वारा अपनी प्रशंसा सुनकर अत्यन्त संकुचित चित्त से बड़े विनय के साथ श्रीराधाजी बोलीं- |
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प्रियतम श्रीश्यामसुन्दर के द्वारा अपनी प्रशंसा सुनकर अत्यन्त संकुचित चित्त से बड़े विनय के साथ श्रीराधाजी बोलीं- |
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