श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
रसस्वरूप श्रीकृष्ण और भावस्वरूपा गोपांगनासमन्वित श्रीराधाजी का तत्त्व-महत्त्व
श्रुतियों में विभिन्न नामों से परात्पर ब्रह्म-तत्त्व का वर्णन किया गया है और प्रसंगानुसार वह सभी सत्य है तथा सभी में एक पूर्ण सामञ्जस्य है। अन्न, प्राण, मन, विज्ञान[1] आदि विभिन्न नामों का निर्देश करने के पश्चात श्रुति ने ‘आनन्द’ के नाम से ब्रह्म का वर्णन किया-
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