श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्री कृष्ण का प्राकट्य
‘भगवान श्रीकृष्ण के चरणारविन्दों की स्मृति सदा बनी रहती है तो उसके प्रभाव से समस्त पापों तथा अशुभों का नाश कल्याण की प्राप्ति, अन्तःकरण की शुद्धी, परमात्मा की भक्ति और वैराग्ययुक्त ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति अपने-आप हो जाती है।’ आज उन्हीं भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य-महोत्सव का मंगलमय दिवस है; इस महान मंगल अवसर आप, हम सब भगवान श्रीकृष्ण का पवित्र स्मरण करके जीवन को वित्र और मंगलमय बनायें। अवतार का अर्थ है- अवतरण, परब्रह्म का उतरना। भगवान सर्वातीत हैं, सर्वमय हैं, सर्वव्यापक हैं, सदा-सर्वत्र विराजित हैं; पर उन्होंने अपनी ‘सर्वभवन-सामर्थ्य’ से- माया से- योगमाया से अपने को ढँक रखा है। अपनी इच्छा से ही लीला के लिये कभी-कभी वे इस आवरण को किसी अंश में हटा कर लोक के सामने प्रकट हो जाते हैं, यही उनका अवतरण है। इसी का नाम अवतार है। |
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