प्रेम दीवानी मीरा 6

प्रेम दीवानी मीरा - खोल मिली तन गाती


हरि की सेवा-पूजा ठानी।
सुनि कीर्तन अमृतमय बानी।।
भयो उन प्रेतन को उद्धार।
प्रगट भए रूप चतुर्भुज धार।।
व्यक्त किये मीरा प्रति आभार।
चाल उलटी हो गयी मीरा तो मरी नहीं, बेचारे प्रेत अवश्य तर गये -
आशीष दे पितर गये हरि धामा।
मीरा हृदय भयो विश्रामा।।
अन्त में हारकर राणा ने कहा -
आखिर मीरा से कहा राणा ने सब हाल।
गिरधर का अब छोड़ दो अपने मन से ख्याल।।
मीरा ने कहा -
ऐ राणा हमें आस है गिरिवरधारी का।
तुम भी अब मन से भजन करो मनमोहन मदन मुरारी का।।

मीरा की बात सुनकर राणा व्यथित हुए गुस्से से काँपने लगे -


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