प्रेम दीवानी मीरा - खोल मिली तन गाती
- हरि की सेवा-पूजा ठानी।
- सुनि कीर्तन अमृतमय बानी।।
- भयो उन प्रेतन को उद्धार।
- प्रगट भए रूप चतुर्भुज धार।।
- व्यक्त किये मीरा प्रति आभार।
- आशीष दे पितर गये हरि धामा।
- मीरा हृदय भयो विश्रामा।।
- आखिर मीरा से कहा राणा ने सब हाल।
- गिरधर का अब छोड़ दो अपने मन से ख्याल।।
- ऐ राणा हमें आस है गिरिवरधारी का।
- तुम भी अब मन से भजन करो मनमोहन मदन मुरारी का।।
मीरा की बात सुनकर राणा व्यथित हुए गुस्से से काँपने लगे -
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