कृष्ण प्रेम वर दीजै

कृष्ण प्रेम वर दीजै


राधे कृष्ण प्रेम वर दीजै।
परम प्रेम की रसमय प्रीति, सहज भाव भर दीजै।।
निज प्रियतन माधव के संग में मनसा रमण करीजै।
हृदय कमल खिले कञ्जसा रासरति नित कीजै।।
बृजराज बिहारी बृषभानु दुलारी चरणन चित्त करीजै।
राधा गोविन्द ‘स्वरूप’ दरस को सुख कृपा कर दीजै।।[1]

पं. श्रीरामस्वरूपजी गौड़



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भगवत्प्रेम अंक |लेखक: राधेश्याम खेमका |प्रकाशक: गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 330 |

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