श्रीनारायणीयम्
दशमदशकम्
भगवन! तदनन्तर सृष्टि रचना के प्रेमी उन ब्रह्मा के विभिन्न अंगों से मरीचि, अत्रि, अंगिरा, क्रतु मुनि, पुलह, पुलस्त्य, भृगु, वसिष्ठ, दक्ष और आपके चरणों के दास श्रीनारद उत्पन्न हुए।।7।।
तत्पश्चात् ब्रह्मा ने धर्म आदि की तथा प्रजापति कर्दम की सृष्टि की फिर सरस्वती की रचना करके वे काम के वशीभूत हो गये। तब आपके द्वारा प्रेरित सनकादि एवं दक्षादि अपने पुत्रों के समझाने से वे अज्ञान का परित्याग करके उस काम से निवृत्त हो गये।।8।। |
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