श्रीनारायणीयम्
एकोनशततमदशकम्
भगवन्महिमा का वर्णन
भला, विष्णु के बल-पराक्रम का वर्णन कौन कर सकता है? पृथ्वी के रेणुकणों की गणना करने में कौन समर्थ है? जिनके ही तीन पगों द्वारा मापा गया त्रिभुवन सम्पत्ति से पूर्ण होकर आनन्द का अनुभव करता है, जो अपने योगबल से सारे विश्व को धारण करते हैं, उन विष्णु के परम प्रिय धाम वैकुण्ठ को मैं प्राप्त हो जाऊँ, जहाँ सर्वत्र मोक्ष-सुखरूपी अमृत का प्रवाह बहता रहता है, जिससे वहाँ पहुँचे हुए भगवद्भक्तजन आनन्दविभोर बने रहते हैं।।1।।
जो आदि में उत्पन्न होने वाले अतएव सबके कर्ता, पल-पल में नित्य-नूतन तथा विभूति के भर्ता (लक्ष्मीपति) हैं, उन विष्णु के लिए जो भक्ति-भाव से यजन-पूजन आदि में हविष्य आदि समर्पित करता है तथा जो उन महान् विष्णु के श्रीकृष्ण आदि महामहिम अवतारों का वर्णन करता है, वही इस जगत् में यथेष्ट सुखानुभव से प्रसन्न तथा उत्तम कीर्ति से संपन्न होकर शरीरपात होने पर शीघ्र ही उस प्रापणीय वैकुण्ठलोक को प्राप्त होता है (दूसरे को उसकी प्राप्ति दुर्लभ है)।।2।। |
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज