श्रीनारायणीयम्
षट्चत्वारिंशत्तमदशकम्
विश्वरूप-प्रदर्शन
अयि देव! शैशवावस्था में एक बार स्वयं आप माता की गोद में उत्तान लेटे हुए दूध पी रहे थे। उसी समय जँभाई आने के कारण आपने अपना मुख खोल दिया। उस मुख में गोपी यशोदा को सारा विश्व दिखायी पड़ा।।1।।
जगदीश्वर! पुनः कुछ वयस्क होने पर जब आप बालकों के साथ खेल में तल्लीन थे, तब फल-संग्रह से वंञ्चित किए जाने के कारण क्रुद्ध हुए ग्वालबालों ने माता यशोदा से कहा कि ‘कृष्ण ने मिट्टी खायी है’।।2।।
अयि विभो! प्रत्येक प्रलय के अवसर पर जो पृथ्वी, जल आदि समस्त प्रपञ्च को भक्षण कर लेने वाले हैं, ऐसे आपको थोड़ी सी मिट्टी खा लेने से रोग हो जायेगा- इस भय से भीत हुई माता यशोदा आप पर कुपित हो उठीं और पूछने लगीं।।3।। |
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