विषय सूचीभागवत सुधा -करपात्री महाराजषष्ठ-पुष्प 2. माया संतरण का अमोघ उपायअश्विनीकुमारों ने कहा- ‘तुम नींद लेकर क्या करोगे? नन्दनवन का आनन्द लो, कल्पवृक्ष का आनन्द लो, कामधेनु का आनन्द लो, चिन्तामणि का आनन्द-स्वाद लो, शची, रंभा, उर्वशी आदि देवियों का रस लो। नीद लेकर क्या करोगे? इन्द्र ने कहा- ‘ये सब चूल्हे में जाँय। बिना नींद के कुछ नहीं सुहाता।’ तो भाई बड़े लोगों को नींद नहीं आती। वह नींद क्या है- या देवी सर्वभूतेषु निद्रा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै।।[1] कई लोगों को भूख नहीं लगती। क्षुधा कैसे आवेगी? अन्नवान और अन्नाद होना बड़ा कठिन है। कई लोग अन्नाद खूब हैं तो अन्नवान नहीं, कई लोग अन्नवान है पर अन्नाद नहीं। थाली में रक्खे हुए लड्डू को एटम बम समझते हैं। भगवान की कृपा से माया भगवती क्षुधा के रूप में प्राप्त होती है- या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता नमस्तस्मै।।[2] अच्छा शान्ति चाहिये कि नहीं? स्वाराज्य मिल गया, साम्राज्य मिल गया, वैराज्य मिल गया, अनन्त धनधान्य मिल गया, पर शान्त ही नहीं? शान्ति कहाँ से मिलेगी? या देवी सर्वभूतेषु शान्तियरूपेण संस्थिता[3] इसी तरह लज्जा चाहिये। निर्लज्ज आदमी कोई आदमी है? या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता।।[4] कहाँ तक कहें, जीवन में जितनी अपेक्षित चीजें हैं, सब माया भगवती की कृपा से ही उपलब्ध हो सकती हैं। शक्ति, क्षान्ति, जाति, श्रद्धा, कान्ति, लक्ष्मी, वृत्ति, स्मृति, दया, तुष्टि और मातृ आदि सभी रूपों में माया भगवती ही अवस्थित है। इसलिये ‘माया’ वर्णयतः’। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज