विषय सूचीभागवत सुधा -करपात्री महाराजसप्तम-पुरुष 5. धन बड़ा या धनवानबलि ने कहा-‘‘पूछ लूँ एक बात!’’ भगवान् ने कहा- ‘‘पूछ लो।’’ बलि ने कहा- ‘‘महाराज! कोई खरीददार कपड़ा खरीदने के लिये बाजार की दुकान में गया। कहने लगा- हम अपने हाथ से सौ रुपये का एक हाथ रेशम खरीदेंगे। सौदा तय हो गया। मापने लगा तो हाथ लंबा बढ़ा दिया। क्या यह ठीक था?’’ भगवान वामन ने कहा- ‘‘जिस रूप में उसने सौदा तय किया उसी रूप में उसे सौदा लेना भी था। कपड़ा लेते समय हाथ बढ़ाना नहीं चाहिये था।’’ बलि ने कहा- जिस रूप में आपने दान लिया, उसी रूप से मापते। कमी पड़ती तो आप हमसे लेते। आपने दान तो लिया छोटे-से रूप से और मापना आरम्भ किया महान रूप से। जरा सोचिये यह कोई न्याय है? अच्छा जाने दो, इस प्रश्न का उत्तर दो। धन बड़ा होता है कि धनवान बड़ा होता है? भोग्य बड़ा होता है कि भोक्ता बड़ा होता है? मकान बड़ा कि मकान का मालिक बड़ा? पलंग बड़ा कि पलंग पर सोने बाला बड़ा?’’ कहते हैं, एक शैतान का पलंग था। वह कहता था- ‘आओ पलंग पर सोओ, लेकिन हम सोने के लायक बनायेंगे तुमको तब सोने देंगे। पूछने वाले ने पूछा- ‘लायक क्या बनाओगे? ‘अरे पलंग से बड़े हो जाओगे तो काट-पीटकर पलंग के बराबर बनाएगे। ठिगने होगे तो खींच तानकर पलंग के बराबर बनाएँगें। सोने लायक बनो तो पलंग पर सोओ।’ कहो जी! पलंग के लिये सोने वाला कि सोने वाले के लिये पलंग? किसी ने बहुत अच्छी माला बनाई, बहुत खूब सूरत माला। हीरा, मोती डालकर गुलाब का फूल, कमल का फूल डालकर सुन्दर माला बनाई। गुरु जी को माली पहनाने आया। गुरु जी का सिर था मोटा-बड़ा। माला छोटी हो गई। कहने लगा-‘गुरु जी! हुकुम हो तो थोड़ा सिर छील दें।’ तो क्या माला पहनने के लिये सिर छिलायें? सिर के लिये माला कि माला के लिए खाने वालों को कम करो। घर की मलकिन ने कहा- ‘मालिक! गेहूँ की कमी है, गेहूँ लाओ।’ मालिक ने कहा- ‘खाने वाले को कुछ कम करो, गेहूँ की समस्या हल हो जाय।’ अरे भाई! तुमसे इन्तजाम करते बने तो करो, नहीं तो हट जाओ। दूसरा आयगा। क्या मतलब, अभी तुम आने वालों को रोक रह हो, नये खाने वाले न आयें। इसी तरह से कल तुम जो बूढ़े होंगे उनसे भी कहोगे आगे आने वालों के लिए सीट ख़ाली करो। यह कोई मानवता होगी कि दानवता होगी? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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