प्रेम योग -वियोगी हरि
प्रेम व्याधिबयाने दर्द मुहब्बद जो हो तो क्योंकार हो? राम करे, यह जख्मेजिगर कभी अच्छा न हो, यह घाव ऐसा ही हरा बना रहे। किसी ने क्या अच्छा कहा है- I felt this instant deeply wounded with the love Of God, a wound so delightful that I desired it never might be healed. अर्थात्- कहा निकासन आई उरतें काँटों, अरी हठीली! प्रेमीजन इस असाध्य व्याधि का स्वागत करने के अर्थ पलक पाँवड़े बिछाये खड़े रहते हैं। इस मधुर पीर का आनन्द लूटने को बड़े बड़े ज्ञानी ध्यानी लालायित रहा करते हैं। इस दर्द में ही हँसते हँसते प्राण पक्षी उड़ा देने के लिए मतवाले साधक प्रेम पुरी में पागल सरीखे धूम रहे हैं। बड़े बड़े ऋषि मुनि और पीर पैगम्बर प्रेम पीर की मौत के इच्छुक रहा करते हैं। उस मौत का मजा कुछ निराला ही है- मजे जो मौत के आशिक बयाँ कभू करते, |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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