प्रेम योग -वियोगी हरि पृ. 177

प्रेम योग -वियोगी हरि

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प्रेमी का हृदय

प्रेम शून्य हृदय को हम कैसे हृदय कहें। हृदय तो वही, जो प्रेम रस से परिपूर्ण हो। सच पूछा जाय तो प्रेम का दूसरा नाम हृदय है, और हृदय का दूसरा नाम प्रेम। हृदयवान् अवश्य प्रेमी होगा और प्रेमी जरूर सहृदय होगा। प्रेमी पीर का मर्म हृदयवान् ही जानता है। इश्क की दीवानगी का मजा दिलदार ही उठा जानता है। अजी, जिस दिल में किसी के लिए दीवानगी न हो, वह दिल, मेरी अदना राय में, दिल ही नहीं। कहा भी है-

वह सर नही, जिसमें कि हो सौदा ना किसी का,
वह दिल नहीं, जो दिल न हो दीवाना किसी का।।

कितना करुणार्द्र और कोमल होता है प्रेमी का प्रमत्त हृदय! भावुकता ही भावुकता भरी होती है उसके अमल अंतस्तल में। प्रेम की सरसता उस पगले के हृदय में इतनी अधिक भर जाती है कि वह उसकी मस्तानी, रंगीली आँखों में छलकने लगती है। अहा! कैसा होता होगा वह प्रेमपूर्ण हृदय, कैसी होती होंगी वह मतवाली आँख

हिरदै माहीं प्रेम जो नैनों झलकै आय।
सोइ छका, हरि रस पगा, वा पग परसों धाय।। - चरणदास

क्यों न उस मतवाले दिलवाले के पैर चूम लिये जायँ। क्यों न उस दर्दवन्त संत की जूतियाँ उठाकर सर पर रख ली जायँ।

भाई, इसमें संदेह ही क्या कि हृदय न होता तो प्रेम भी न होता-

होता न अगर दिल तो मुहब्बत भी न होती।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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प्रेम योग -वियोगी हरि
क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या
पहला खण्ड
1. प्रेम 1
2. मोह और प्रेम 15
3. एकांकी प्रेम 25
4. प्रेमी 29
5. प्रेम का अधिकारी 41
6. लौकिक से पारलौकिक प्रेम 45
7. प्रेम में तन्मयता 51
8. प्रेम में अधीरता 56
9. प्रेम में अनन्यता 63
10. प्रेमियों का मत मज़हब 72
11. प्रेमियों की अभिलाषाएँ 82
12. प्रेम व्याधि 95
13. प्रेम व्याधि 106
14. प्रेम प्याला 114
15. प्रेम पंथ 120
16. प्रेम मैत्री 130
17. प्रेम निर्वाह 141
18. प्रेम और विरह 146
19. प्रेमाश्रु 166
20. प्रेमी का हृदय 177
21. प्रेमी का मन 181
22. प्रेमियों का सत्संग 186
23. कुछ आदर्श प्रेमी 190
दूसरा खण्ड
1. विश्व प्रेम 204
2. दास्य 213
3. दास्य और सूरदास 223
4. दास्य और तुलसी दास 232
5. वात्सल्य 243
6. वात्सल्य और सूरदास 253
7. वात्सल्य और तुलसीदास 270
8. सख्य 281
9. शान्त भाव 291
10. मधुर रति 299
11. अव्यक्त प्रेम 310
12. मातृ भक्ति 317
13. प्रकृति में ईश्वर प्रेम 322
14. दीनों पर प्रेम 328
15. स्वदेश प्रेम 333
16. प्रेम महिमा 342
अंतिम पृष्ठ 348

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