प्रेम योग -वियोगी हरि
प्रेम और विरहराति द्योस कटक सजेही रहै, दहै दुख, आकर टुक एक झलक दिखा दी तो अच्छा ही है, नहीं तो मरना तो है ही। तुम्हारे दर्शन की अभिलाषा लिए हुए ही मरेंगे। उस घड़ी भी ये आँखें हसरते दीदार में खुली रहेंगी। सच मानो, प्यारे! |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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