श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
रोला
‘ये श्रीराधिकाजी मेरी प्रिया हैं- इन्हें परम देवता समझिये। इनके चारों ओर और पीछे लाखों सखियाँ हैं; जैसे मैं नित्य विग्रह हूँ, उसी प्रकार ये सब भी नित्य हैं। मेरे पिता, माता, सखा, गोप, गौएँ और यह मेरा वृन्दावन- सभी नित्य और सच्चिदानन्द-रस मय हैं। मेरे इस वृन्दावन का नाम आनन्दकन्द जानो।’ रसोल्ला सतन्त्र में भगवान श्रीशिवजी देवी पार्वती से रास के सम्बन्ध में कहते हैं- शरीरे देहानि यथा स्थूलं सूक्ष्मं च कारणम्।
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- ↑ पद्म० पाताल० 51/73-75