श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
मोक्ष-संन्यासिनी गोपियाँपुनि-पुनि कहै, हे श्याम! जाय बृंदाबन रहियै! उद्धव जी के शब्द सुनकर भगवान की क्या दशा हुई? सुनिये श्रीनन्ददास जी के ही मुखारविन्द से- सुनत सखा के बैन नैन आए भरि दोऊ। फिर किसी तरह सचेत होकर भगवान ने कहा- ह्वै सुचेत कहि भलैं सखा पठाए सुधि लावन। |
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