श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
मोक्ष-संन्यासिनी गोपियाँ
उद्धव भगवान के पैर पकड़कर फुफकार मारकर रोने लगे। भगवान भी प्रेमविह्वल हो जमीन पर गिर पड़े और फिर अपने पिताम्बर से आँसू पोंछते हुए बोले-‘वाह, तुम तो खूब योग सिखाकर आये, उद्धव!’
भगवान ने कहा- ‘उद्धव ! देखा तुमने गोपबालाओं का निर्मल, विशुद्ध, अहैतुक और अनन्य प्रेम! इसीलिये मैं उन्हें क्षण भर नहीं भूल सकता!’ धन्य! इसी प्रसंग में व्रज-रस-रसीले श्रीनन्ददास जी कहते हैं- उद्धव जी ने कहा- करुनामई रसिकता है तुम्हारी सब झूठी। |
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