श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
“श्रीभगवान के श्रीअंग से सर्वश्रेष्ठ भगवान की अभिन्न-स्वरूपा महाशक्ति मूल प्रकृति राधा का आविर्भाव हुआ। वे ही पाँच रूपों में अभिव्यक्त हुईं - राधा, लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती और सावित्री। इनमें मूल प्रकृतिरूपा श्रीराधा भगवान के प्रेम और प्राणों की अधिदेवी तथा पञ्चप्राणस्वरूपिणी हैं। वे परमात्मा श्रीकृष्ण को प्राणों से भी बढ़कर प्रिय हैं, सम्पूर्ण देवियों में अग्रगण्य हैं, सबकी अपेक्षा इनमें सुन्दरता से अधिक है। इनमें सभी सद्गुण सदा विद्यमान हैं। ये परम सौभाग्यवती और मानिनी हैं। इन्हें अनुपम गौरव प्राप्त है। परब्रह्म का वामार्द्धांग ही इनका स्वरूप है। ये ब्रह्म के समान ही गुण और तेज से सम्पन्न हैं। इन्हें परावरा, सारभूता, परामाद्या, सनातनी, परमानन्दरूपा, धन्या, मान्या और पूज्या कहा जाता है। ये नित्यनिकुन्जेश्वरी, रासक्रीड़ा की अधिष्ठात्री देवी हैं। अनेक प्रकार के दिव्य आभूषण इन्हें सुशोभित किये रहते हैं। इनकी कान्ति करोड़ों चन्द्रमाओं के समान प्रकाशमान है। इनका सर्वशोभासम्पन्न श्रीविग्रह सम्पूर्ण ऐश्वर्यों से सम्पन्न है। भगवान श्रीकृष्ण के भक्त को दास्य-रति प्रदान करने वाली एकमात्र ये ही हैं; क्योंकि सम्पूर्ण सम्पत्तियों में ये इस दास्यसम्पत्ति को ही परम श्रेष्ठ मानती हैं। |
संबंधित लेख
क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज