श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
मञ्जरी-सेवा पद्धति में नया साधक किसी मञ्जरी के अनुगत रहकर उनके आज्ञानुसार सेवा किया करता है-
इस प्रेम के साधक को चाहिये कि वह अपने को अपनी सेवा-वासना के अनुसार श्रीरूपमञ्जरी, श्रीरसमञ्जरी, श्रीरतिमञ्जरी आदि सखियों में से किसी के साथ रहकर उनके कृपारूपी आभूषणों से विभूषित तथा निरन्तर उनकी आज्ञा के अनुसार सेवा में तत्परता से संलग्न समझे। इन सर्वथा निष्काम सेविकाओं के प्रसाद तथा इनके आज्ञानुसार आचरण से सेवाधिकार प्राप्त होता है और यह सेवाधिकार ही प्रेम के साधक को समस्त मोक्षों से उपरत करके नित्य-निरन्तर स्वयं भगवान के साथ भगवत्प्रेम में बाँधकर सेवा में नियुक्त रखता है। |
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