श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
सेवा की महत्ता का और सेवा के लिये मोक्ष-त्याग का सिद्धान्त बतलाते हुए भगवान कपिलदेव कहते हैं-
‘मेरे (भगवान के) प्रेमीजन मेरी सेवा को छोड़कर, दिये जाने पर भी, भगवान के नित्य धाम में निवासरू-सालोक्य, भगवान के समान ऐश्वर्य-भोग– सार्ष्टि, भगवान की नित्य समीपता- सामीप्य, भगवान के समान रूप प्राप्ति- सारूप्य और भगवान के साथ एक हो जाना- ब्रह्मस्वरूप प्राप्त कर लेना- ये पाँच प्रकार के मोक्ष नहीं ग्रहण करते।’ श्रीराधाजी के चरणों में ऐसी विनीत प्रार्थना करें, वे अपनी सहज कृपा से हमें ऐसी बुद्धि और साधना प्राप्त करा दें।
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- ↑ श्रीमद्भागवत 3। 29। 13
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