श्रीराधा माधव चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
श्रीराधा-माधव-चिन्तन’ पर सम्माननीय विद्वानों के विचारपरम श्रद्धेय पोद्दारजी की राधा-माधव-साधना का चिन्तन और भाव कोष देखकर मैं तृप्त हो गया। पता नहीं मुझे इतनी ज्ञान और भाव-सामग्री राधा-माधव और गोपागंना-तत्त्व पर कभी भी शेष जीवन में मिल सकती है या नहीं। यह पुस्तक भेजकर आपने मुझ पर बड़ा उपकार किया है। अक्षरशः मैंने पुस्तक का अनुशीलन अभी नहीं किया, पर प्रत्येक पृष्ठ पर अकिंत ज्ञान-स्त्रोतस्विनी और भाव स्त्रोतस्विनी की शीतलता का मैंने अवश्य अनुभव कर लिया है। भारत की वास्तविक जनता पर आपका यह बहुत बड़ा आभार है कि बिखरी हुई पवित्रता को एकत्रित करके आपने इसे सर्वसुलभ बना दिया। मुझे पूरा विश्वास है कि ‘राधा-माधव-चिन्तन’ अनन्तकोटि सूर्यों के तेज को भी अतिक्रान्त करके जगत् में लोक हृदय के अन्धकार को अवश्य दूर करेगा। इस ग्रन्थ का एक अंग्रेजी संस्करण भी निकालना चाहिये। हो सके तो विश्व की सब प्रमुख भाषाओं में इसके अनुवाद की व्यवस्था की जानी चाहिये। जिस वैज्ञानिक ढंग से इस ग्रन्थ में भाव की पवित्रता की धारा का आकलन प्रस्तुत किया गया है, यह सर्वथा स्तुल्य है। विशेषतः सरल-सुबोध भाषा में राधा-माधव-गोपगंना-तत्त्व का विवेचन इस ग्रन्थ में हुआ है और इससे मोहान्धकार में पड़े हुए जगत् परम मगंल होगा। जिस इन्द्रियातीत परमभाव की झाँकियाँ इस ग्रन्थ में संग्रहीत की गयी हैं, उन्हें प्राप्त करके ‘श्रीराधा-माधव-चिन्तन’ के पाठक प्रेम के विश्वव्यापी भाव को धारण करके विश्व के आदर्श नागरिक बन सकेंगे- इसमें कोई संदेह नहीं। अहंमुखर स्व का विलोपन ही विश्व शान्ति की कुजीं हैं पोद्दारजी के इस ग्रन्थ में पवित्र विश्व शान्ति को अपना प्रकाश विश्व भर पर विकसित करने में सहायता मिलेगी। इस ग्रन्थ के लेखक और सम्पादक दोनों के प्रति मैं अपनी श्रद्धा अर्पित करता हूँ और दोनों से इसे स्वीकार करने की प्रार्थना है। |
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