प्रेम योग -वियोगी हरि पृ. 341

प्रेम योग -वियोगी हरि

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स्वदेश प्रेम

उनके मरघटों से प्रेम की लपट सदा उठा करे, उनकी कब्रों की मिट्टी से हुब्बे वतन की खुशबू आया करे-

दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत;
मेरी मिट्टी से भी खुशबूए बफ़ा आयेगी।

जहाँ की भी मिट्टी से यह देश प्रेम की खुशबू आ रही हो, वह जगह किस काशी या काबे से कम है? सच्चा तीर्थ स्थान वही है, जहाँ किसी देश प्रेमी ने अपनी मातृ भूमि पर प्राणों के पवित्र पुष्प चढ़ाये हों। अमर शहीदों के इन तरण- तारण तीर्थों की महिमा कौन गा सकता है? धन्य है वह पथ, जिस पर हो वे देश के मतवाले लाल मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जाते हैं। एक पुष्प की अभिलाषा देखिये-

चाह नहीं, मैं सुर बाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के शिर पर चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ में देना तुम फेंक,
मातृ भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक।। - भारतीय आत्मा

हमें चाहिए कि और नहीं तो कभी कभी दो बूँद आँसू तो उन शमशानों पर, उन कब्रों पर चढ़ा दिया करें। उन कब्रों पर हमारा वह रोना ऐसा हो, जो औरों को भी रुला दे। हम बेकस और कर ही क्या सकते हैं-

हर दर्दमंद दिल को रोना मेरा रुला दे,
बेहोश जो पड़े हैं, शायद उन्हें जगा दे। - इकबाल

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

प्रेम योग -वियोगी हरि
क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या
पहला खण्ड
1. प्रेम 1
2. मोह और प्रेम 15
3. एकांकी प्रेम 25
4. प्रेमी 29
5. प्रेम का अधिकारी 41
6. लौकिक से पारलौकिक प्रेम 45
7. प्रेम में तन्मयता 51
8. प्रेम में अधीरता 56
9. प्रेम में अनन्यता 63
10. प्रेमियों का मत मज़हब 72
11. प्रेमियों की अभिलाषाएँ 82
12. प्रेम व्याधि 95
13. प्रेम व्याधि 106
14. प्रेम प्याला 114
15. प्रेम पंथ 120
16. प्रेम मैत्री 130
17. प्रेम निर्वाह 141
18. प्रेम और विरह 146
19. प्रेमाश्रु 166
20. प्रेमी का हृदय 177
21. प्रेमी का मन 181
22. प्रेमियों का सत्संग 186
23. कुछ आदर्श प्रेमी 190
दूसरा खण्ड
1. विश्व प्रेम 204
2. दास्य 213
3. दास्य और सूरदास 223
4. दास्य और तुलसी दास 232
5. वात्सल्य 243
6. वात्सल्य और सूरदास 253
7. वात्सल्य और तुलसीदास 270
8. सख्य 281
9. शान्त भाव 291
10. मधुर रति 299
11. अव्यक्त प्रेम 310
12. मातृ भक्ति 317
13. प्रकृति में ईश्वर प्रेम 322
14. दीनों पर प्रेम 328
15. स्वदेश प्रेम 333
16. प्रेम महिमा 342
अंतिम पृष्ठ 348

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