प्रेम योग -वियोगी हरि पृ. 294

प्रेम योग -वियोगी हरि

Prev.png

शान्त भाव

‘सुंदर’ अंदर पैठि, करि, दिल में गोता मार।
तो दिलही में पाइये, साई सिरजनहार।।
सखुन हमारा मानिये, मन खोजै कहुँ दूर।
साईं सीने बीच हैं ‘सुंदर’ सदा हुजूर।।

ऐं! यह बात है! पढ़ा सुना तो हमने कुछ और ही था। बड़े धोखे में रहे! इल्म से कुछ भी हासिल न कर सके। यह खूब रहा वाह!

हम जानते थे, इल्म से कुछ जानेंगे;
जाना तो यह जाना, कि न जाना कुछ भी। - जौक

यह देखो, हमारा हृदय हारी राम रोम रोम में रम रहा है। क्या खूब बहार है उसकी ललित लीला में। आँखें बन्द कर तनिक देखो तो उस खिलाड़ी का नूर है। अहा!

दूध माँझ जस घीव है, समुद माँझ जस मोति।
नैनि मींचि जौ देखहु, चमकि उठै तस जोति।। - जायसी

यह है वह ज्योति, यह है वह प्रकाश, जिसमें आत्म स्वरूप का दर्शन होता है। इसी प्रेम दीपक के उँजेले में ब्रह्म जीव के बीच में पड़ी हुई युगों की गाँठ खोली जा सकती है। क्या ही दिव्य प्रकाश है हमारे हृदय रमण राम के प्रेम का! इस प्रेम ज्योति पर क्या न्योछावर कर दें! बोलो, इस प्यारे राम के चरणों पर क्या भेंट चढ़ा दें! अरे, चढ़ाने को बचा ही क्या है? यहाँ तो अपने आप का भी पता नहीं है। खूब खोजा और खूब पाया! हाँ, और क्या कहें अब-

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

प्रेम योग -वियोगी हरि
क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या
पहला खण्ड
1. प्रेम 1
2. मोह और प्रेम 15
3. एकांकी प्रेम 25
4. प्रेमी 29
5. प्रेम का अधिकारी 41
6. लौकिक से पारलौकिक प्रेम 45
7. प्रेम में तन्मयता 51
8. प्रेम में अधीरता 56
9. प्रेम में अनन्यता 63
10. प्रेमियों का मत मज़हब 72
11. प्रेमियों की अभिलाषाएँ 82
12. प्रेम व्याधि 95
13. प्रेम व्याधि 106
14. प्रेम प्याला 114
15. प्रेम पंथ 120
16. प्रेम मैत्री 130
17. प्रेम निर्वाह 141
18. प्रेम और विरह 146
19. प्रेमाश्रु 166
20. प्रेमी का हृदय 177
21. प्रेमी का मन 181
22. प्रेमियों का सत्संग 186
23. कुछ आदर्श प्रेमी 190
दूसरा खण्ड
1. विश्व प्रेम 204
2. दास्य 213
3. दास्य और सूरदास 223
4. दास्य और तुलसी दास 232
5. वात्सल्य 243
6. वात्सल्य और सूरदास 253
7. वात्सल्य और तुलसीदास 270
8. सख्य 281
9. शान्त भाव 291
10. मधुर रति 299
11. अव्यक्त प्रेम 310
12. मातृ भक्ति 317
13. प्रकृति में ईश्वर प्रेम 322
14. दीनों पर प्रेम 328
15. स्वदेश प्रेम 333
16. प्रेम महिमा 342
अंतिम पृष्ठ 348

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः